- यूपी से ताल्लुक रखने वाले विश्वास केजरीवाल की AAP का रह चुके हैं हिस्सा
- फरवरी, 2022 में उन्हें केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराई गई थी वाई कैटेगरी की सुरक्षा
- कवि ने दिल्ली सीएम पर लगाए थे अलगाववादी संगठनों के साथ जुड़ाव के आरोप
Kumar Vishwas Security: जाने-माने कवि और आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता कुमार विश्वास की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। गुरुवार (14 जुलाई, 2022) को उनकी वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी को अपग्रेड कर वाई+ कर दिया गया।
यह फैसला हाल ही में उन्हें मिली धमकियों के बाद सुरक्षा के लिहाज से किया गया है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि कवि को यह सुरक्षा पूरे देश में मिलेगी। सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) उन्हें अब तक सिक्योरिटी कवर मुहैया करा रही थी।
मूल रूप से उत्तर प्रदेश (यूपी) के रहने वाले विश्वास को फरवरी, 2022 में केंद्र सरकार की ओर से वाई कैटेगरी की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। दरअसल, उन्होंने इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर अलगाववादी संगठनों के साथ जुड़ाव होने के आरोप लगाए थे।
क्या होती है वाई+ सुरक्षा (What is Y+ Security)
गृह मंत्रालय के सूत्र के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि जिसे यह सुरक्षा मुहैया कराई जाई है, उसके घर पर पांच कर्मचारी (एक सीआरपीएफ कमांडर और चार कांस्टेबल) तैनात रहते हैं। छह पर्सनल सिक्योरिकी ऑफिसर (पीएसओ) भी तीन शिफ्ट्स में रोटेशन के आधार पर सिक्योरिटी में लगाए जाते हैं। यानी दो पीएसओ हर वक्त सुरक्षा पाने व्यक्ति के साथ रहते हैं।
कितने तरह का देश में मिलता है सिक्योरी कवर?
भारत में मौजूदा समय में कई तरह के सुरक्षा कवर मिलते हैं। इनमें Z+, Z, Y+, Y और X शामिल हैं। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) प्रधानमंत्री के लिए एक खास विशेषाधिकार है। पूर्व पीएम के परिवार कार्यकाल खत्म होने के बाद पांच साल के लिए इसके लिए पात्र रहते हैं।
यूं तय होता है कि मिलेगी सिक्योरिटी
केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली सिक्योरिटी यूं ही किसी को भी नहीं दी जाती है। चूंकि, यह सुरक्षा अनौपचारिक रूप से "वीआईपी सुरक्षा" भी मानी और कही जाता है। ऐसे में यह आम तौर पर सिर्फ ऐसे किसी व्यक्ति को दी जाती है, जो सरकार या फिर नागरिक समाज में "नतीजे भुगतने" की स्थिति रखता है। सिक्यिरिटी का स्तर (लेवल) क्या होगा? यह चीज केंद्रीय गृह मंत्रालय इंटेलिजेंस एजेंसियों (आईबी और रॉ आदि) से मिले इनपुट्स के आधार पर तय करता है।