- केंद्र सरकार ने आईएएस कैडर नियम 1954 में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है।
- केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में इस संबंध में जरूरी संशोधन विधेयक ला सकती है।
- नए प्रस्ताव में असहमति की स्थिति में अंतिम फैसला केंद्र सरकार करेगी।
नई दिल्ली: मंगलवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने अहम खुलासा किया। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव उनका फोन नहीं उठाते। धनखड़ ने नौकरशाहों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कानून का पालन नहीं करते हैं और नहीं जानते कि गवर्नर हाउस क्या कर सकता है। धनखड़ के बयान नौकरशाही को लेकर चलने वाली खींचतान का वह नमूना है जिसमें केंद्र और राज्य सरकार आपस में भिड़ जाते हैं।
केंद्र और राज्यों के बीच ऐसी ही खींचतान नौकरशाहों की नियुक्ति के लिए प्रस्तावित नए नियमों को लेकर बढ़ती जा रही है। असल में केंद्र सरकार ने आईएएस कैडर नियम 1954 में संशोधन करने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत कार्मिक मंत्रालय ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि केंद्र की जरूरतों के हिसाब से प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस, आईपीए, आईएफएस अधिकारियों की संख्या पर्याप्त नहीं है। ऐसे में नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए। और इस पर राज्यों से प्रतिक्रिया मांगी गई है। ऐसा माना जा रहा है केंद्र सरकार 31 जनवरी से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में इस संबंध में जरूरी संशोधन विधेयक ला सकती है।
क्या है नया प्रस्ताव
नये प्रस्ताव में केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति में भेजे जाने वाले अधिकारियों की वास्तविक संख्या केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार आपस में परामर्श करने के बाद तय करेंगे। लेकिन अगर किसी तरह की असहमति बनती है तो अंतिम फैसला केंद्र सरकार करेगी। जिसके बाद राज्य सरकारें एक निश्चिय समय में केंद्र सरकार द्वारा लिए गये फैसले को लागू करेंगी।
अभी क्या है व्यवस्था
नए प्रस्ताव और मौजूदा नियम में फर्क ये है कि असहमति की स्थिति में तय समय सीमा का कोई प्रवधान नहीं है। यानी राज्य सरकारों के ऊपर ऐसे अधिकारियों को केंद्र में भेजने का कोई कानूनी दबाव नहीं है। उसे अनिश्चित समय तक टाला जा सकता है। सूत्रों के अनुसार नए प्रस्ताव पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित दूसरे विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों ने विरोध किया है।
बंगाल में विवाद आया था सामने
आमतौर पर आईएएस की नियुक्ति के मामले में राज्यों का दबदबा रहा है। मई 2020 में बंगाल सरकार और मोदी सरकार के बीच आईएएस अधिकारी अलपन बंद्योपाध्याय को लेकर हुआ विवाद था। इसी तरह दिसंबर 2020 में कोलकाता में भाजपा अध्यभ जेपी नड्डा के काफिले पर कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के हमले के बाद उनकी सुरक्षा का जिम्मा संभाल रहे तीन आईपीएस ऑफिसर को केंद्र में नियुक्ति का आदेश जारी किया गया था, लेकिन बंगाल सरकार ने राज्य में अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए उन्हें भेजने से इनकार कर दिया था।