News Ki Pathshala : अगर भारत चाह ले तो अरब देश ठप हो सकते हैं। देश में कुछ लोग इस बात से खुश है कि अरब देशों ने भारत को झुका दिया। वो इस बात से खुश हैं कि मोदी सरकार को अरब देशों की नाराजगी झेलनी पड़ी। वो बार-बार ये बता रहे हैं कि भारत अरब देशों से नहीं उलझ सकता क्योंकि तेल, गैस वहीं से आता है, foreign remittance वहीं से आता है, इसलिए भारत को तो झुकना ही था। इन्हीं में से एक हैं असदुद्दीन ओवैसी। वो आजकल अपनी सभाओं में चटकारे लेकर अरब देशों की ताकत और उसके सामने भारत की मजबूरी का बखान कर रहे हैं पहले आप ओवैसी को सुनिए।
हरकत में कब आते हैं। जब कतर में कुछ होता है। सऊदी अरब में कुछ होता है। अरब अमीरात में कुछ होता है। बहरीन में कुछ होता है। जब प्रधानमंत्री बोलते हैं, अरे गड़बड़ हो गई। अब तो मैं चाय भी नहीं पिला सकता हूं। तब प्रधानमंत्री को ख्याल आता है। मोदी को..ओ हो...बहुत बुरी तरह। आपको मालूम 50% ऑयल यहां से आता। 40 % गैस कतर से आती है, मत लो। कौन लो बोल रहा है आपको। आपको मालूम है भारत का 55% foreign remittance यहां से आता है। 8 मिलियन यानी 80 लाख लोग वहां काम कर रहे हैं।
ओवैसी साहब ने ये तो बता दिया कि भारत अरब देशों पर कितना निर्भर है लेकिन हम तस्वीर का दूसरा पहलू बताते हैं कि अरब देश भारत पर कितना निर्भर है। और क्या होगा अगर भारत इन देशों से नाराज हो जाए तो ये देश कैसे मुश्किल में पड़ जाएंगे।
पहले कतर के बारे में बताते हैं।
-कतर में करीब 6000 छोटी बड़ी भारतीय कंपनियां हैं। जिनका कतर में करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का निवेश है। ये कंपनियां कतर में इंफ्रास्ट्रक्चर, कम्यूनिकेशन, आईटी, एनर्जी सेक्टर में काम करती हैं।
-29 लाख की आबादी वाले कतर में करीब 7 लाख भारतीय रहते हैं। जो वहां का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। जिनका मेडिकल, इंजीनियरिंग, एजुकेशन, बैंकिंग, फाइनेंस और दूसरे सेक्टर में कतर की तरक्की में बहुत बड़ा योगदान है।
-कतर में होने वाले फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल 2022 के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में भारतीय कंपनियों की बड़ी भूमिका है। फीफा वर्ल्ड कप फुटबॉल के लिए कतर का अहमद बिन अली स्टेडियम भारत की कंपनी L&T बना रही है।
आपको दिसंबर 2020 का ट्वीट दिखाते हैं। जब विदेश मंत्री एस जयशंकर कतर गए थे। और वहां पर बन रहे अहमद बिन अली स्टेडियम का जायजा लिया था। अब आपको कुवैत के बारे में बताता हूं।
-43 लाख की आबादी वाले कुवैत में करीब 10 लाख भारतीय रहते हैं। जो वहां का सबसे बड़ा समुदाय है। करीब साढ़े 5 लाख भारतीय ऐसे हैं, जो वहां पर डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, सीए, टेक्नीशियन, कंस्ट्रक्शन वर्कर के तौर पर काम करते हैं।
-करीब 28,000 भारतीय ऐसे हैं, जो सीधे कुवैत सरकार की अलग अलग नौकरियों में हैं। जैसे डॉक्टर, नर्स, इंजीनियर, साइंटिस्ट। करीब साढ़े 3 लाख भारतीय ऐसे हैं, जो कुवैत में घरेलू कामों में लगे हैं। जैसे ड्राइवर वगैरह।
-कुवैत में फाइनेंस, इंफ्रास्ट्रक्चर और आईटी जैसे सेक्टर्स में भारतीय कंपनियों का अच्छा खासा निवेश है। मेडिकल, सॉफ्टवेयर, स्पेस जैसे सेक्टर में भारत की मदद से कुवैत तरक्की करने में जुटा है।
सऊदी अरब के बारे में आपको बताते हैं।
-सऊदी अरब में करीब 745 भारतीय कंपनियां हैं, जिनका वहां करीब 2 बिलियन डॉलर यानी करीब 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश है। ये कंपनियां वहां इंफ्रास्ट्रक्चर, सॉफ्टवेयर, फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे सेक्टर में काम कर रही हैं।
-सऊदी अरब में 22 लाख भारतीय रहते हैं। जो सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। जिनका सऊदी अरब की तरक्की में बड़ा योगदान है। सिर्फ यही नहीं हर साल भारत से औसतन दो लाख लोग हज यात्रा के लिए सऊदी अरब जाते हैं।
अब UAE के बारे में बताते हैं।
-UAE में 34 लाख भारतीय रहते हैं। भारतीय कंपनियों का UAE में करीब 85 बिलियन डॉलर का निवेश है। कई बड़ी भारतीय कंपनियों के UAE में प्लांट लगे हैं। जो वहां सीमेंट, बिल्डिंग मैटेरियल, टेक्सटाइल, इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स बनाते हैं।
बहरीन के बारे में बताते हैं।
17 लाख की आबादी वाले बहरीन में साढ़े 3 लाख भारतीय रहते हैं। बहरीन में करीब 3 हजार छोटी बड़ी भारतीय कंपनियां हैं। वहां भारतीय बैंकों की करीब 23 ब्रांच हैं। बहरीन में भारतीय कंपनियों का करीब 2 बिलियन डॉलर का निवेश है। जो वहां के फाइनेंशियल सेक्टर, रियल एस्टेट सेक्टर और हॉस्पिटालिटी सेक्टर में है।
एक और देश है ओमान के बारे में बताते हैं।
ओमान में करीब 4100 छोटी बड़ी भारतीय कंपनियां काम करती हैं। जिनका निवेश करीब साढ़े 7 बिलियन डॉलर है। ओमान के स्टील, सीमेंट, फर्टिलाइजर, टेक्सटाइल्स, ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारतीय कंपनियों का निवेश है। ओमान के अधिकारियों को भारत से टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग मिलती है। ओमान में करीब साढ़े 7 लाख भारतीय रहते हैं।
अगर भारत को अरब और दूसरे मुस्लिम देशों से तेल वाले ताने दिए जा रहे हैं। तो एक बात ये भी समझ लेना चाहिए कि ये देश भी दूसरी चीजों के लिए भारत पर निर्भर है। हम अगर इनसे तेल लेते हैं, तो इनका भी काम हमारे गेहूं, चावल, फल, सब्जी, मीट के बिना नहीं चल सकता।
भारत से गेहूं का एक्सपोर्ट- 2021-22
यूएई- 4.7 लाख मीट्रिक टन (करीब 30%)
कतर- 1 लाख मीट्रिक टन
ओमान- 92,000 मीट्रिक टन (13% से ज्यादा)
बासमती चावल का एक्सपोर्ट
ईरान- 10 लाख मीट्रिक टन (40%)
सऊदी अरब- 6.7 लाख मीट्रिक टन (50% से ज्यादा)
इराक- 5 लाख मीट्रिक टन
UAE- 2.5 लाख मीट्रिक टन (40%)
कुवैत- 1.5 लाख मीट्रिक टन
ओमान- 77 हजार मीट्रिक टन
कतर- 71 हजार मीट्रिक टन
सब्जी का एक्सपोर्ट
UAE- 82 हजार मीट्रिक टन
कतर- 25 हजार मीट्रिक टन
ओमान- 37 हजार मीट्रिक टन
कुवैत-17 हजार मीट्रिक टन
सऊदी अरब- 16 हजार मीट्रिक टन
फल का एक्सपोर्ट
UAE- 91 हजार मीट्रिक टन
ईरान- 1.17 लाख मीट्रिक टन
इराक- 50 हजार मीट्रिक टन
ओमान- 34 हजार मीट्रिक टन
कतर- 13 हजार मीट्रिक टन
सऊदी अरब- 16 हजार मीट्रिक टन
डेयरी प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट
UAE- 13 हजार मीट्रिक टन
बहरीन- 7 हजार मीट्रिक टन
सऊदी अरब- 5 हजार मीट्रिक टन
कतर- 4 हजार मीट्रिक टन
मीट एक्सपोर्ट
सऊदी अरब- 51,830 मीट्रिक टन
UAE- 51,336 मीट्रिक टन
इराक- 91,373 मीट्रिक टन
कतर- 10,868 मीट्रिक टन
कुवैत- 7593 मीट्रिक टन
बहरीन- 7119 मीट्रिक टन
कोविड के दौरान भारत ने कितनी मदद की थी। ये भी देख लीजिए।
-कोविड के दौरान कुवैत और UAE ने भारत से मेडिकल एक्सपर्ट भेजने की रिक्वेस्ट की थी, भारत ने तुरंत 15 सदस्यीय मेडिकल टीम भेज दी थी।
-कुवैत पहला देश था, जिसके पीएम शेख सबाह अल खलीद अल हमाद ने पीएम मोदी को खुद फोन करके मेडिकल टीम भेजने का आग्रह किया था।
-बहरीन के किंग ने पीएम मोदी को फोन करके Hydroxy-Choloroquine मांगी थीं, भारत ने HCQ की तुरंत सप्लाई की थी।
-ओमान के सुल्तान ने पीएम मोदी को फोन करके मेडिकल उपकरण और एक्सपर्ट मांगे थे, उन्हें भी तुरंत मदद दी गई थी।
-खाड़ी के 6 देशों बहरीन, जॉर्डन, ओमान, कतर, सऊदी अरब और UAE को साढ़े 4 करोड़ HCQ टेबलेट और 11 मीट्रिक टन दवाएं भेजी गई थीं।
-कुवैत, यूएई, इराक, यमन में पीएम मोदी ने ढाई करोड़ पैरासिटामॉल दवा भिजवाई थीं, जब ये दुनिया में कहीं नहीं मिल रही थी।
अरब देशों ने भारत सरकार से जिस विवादित बयान पर विरोध जताया, उसमें कहीं हिंदू-मुसलमान नहीं था, उन्हें एक बयान पर आपत्ति थी। सरकार ने एक्शन लिया और समस्या खत्म हो गई। लेकिन भारत में ही बैठे कुछ लोग इसमें हिंदू मुसलमान करने लगे। कानपुर हिंसा मामले में ऐसे ही एक व्हाट्स एप चैट का खुलासा हुआ है जिसमें मुस्लिमों को हिंदुओं के खिलाफ भड़काया जा रहा है। मुस्लिमों से हिंदुओं के बायकॉट के लिए कहा जा रहा है।