- AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, यूपी में 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं।
- 27 अक्टूबर को भागीदारी संकल्प मोर्चे की मऊ में रैली होने वाली है। वहां पर कौन किसके साथ है, इसकी तस्वीर साफ हो सकती है।
- अखिलेश यादव और ओवैसी एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे या नहीं, यह इस समय यूपी की राजनीति का सबसे बड़ा सवाल है।
नई दिल्ली: बीते जून में जब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ओम प्रकाश राजभर के भागीदारी संकल्प मोर्चे के साथ मिलकर, यूपी में चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। तो उस वक्त उन्होंने शायद ही सोचा होगा कि केवल 3 महीने में ही राजभर उनके लिए नई मुश्किल खड़ी कर देंगे। क्योंकि ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया है। राजभर ने यह भी साफ कर दिया है कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन अकेले उनकी पार्टी सुहलेदव भारतीय समाज पार्टी ने नही किया है बल्कि उनके द्वारा बनाए गए भागीदारी संकल्प मोर्चे के साथ है।
भागीदारी संकल्प मोर्चे में कौन से दल
यूपी 2022 के विधान सभा चुनावों को देखते हुए ओम प्रकाश राजभर ने भागीदारी संकल्प मोर्चे का गठन किया है। मोर्चे में असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन, कृष्णा पटेल का अपना दल, जन अधिकार पार्टी, राष्ट्रीय उदय पार्टी, राष्ट्रीय उपेक्षित समाज पार्टी, जनता क्रांति पार्टी और भारतीय वंचित समाज पार्टी शामिल हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि मोर्चे में शामिल एआईएमआईएम का क्या होगा। क्योंकि ओवैसी चुनावों में 100 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। इसके अलावा क्या ओवैसी और अखिलेश यादव को एक-दूसरे का साथ पसंद होगा। हालांकि राजभर के तरफ से यह कहा गया है कि 27 अक्टूबर को मऊ में होने वाली रैली में सारी तस्वीर साफ हो जाएगी।
अखिलेश-ओवैसी आएंगे एक साथ ?
भले ही ओम प्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव के साथ भागीदारी संकल्प मोर्चे के गठबंधन की बात कही है, लेकिन मुस्लिम वोट बैंक को देखते हुए अखिलेश यादव , ओवैसी का साथ लेंगे। क्योंकि अगर ऐसा वह करते हैं, जो निश्चित तौर पर उन्हें समाजवादी पार्टी के हिस्से की सीटें कम करनी पड़ेंगी।जिसके लिए वह तैयार नहीं दिख रहे हैं। इसी तरह ओवैसी भी अपनी दावेदारी 100 सीटों से घटाकर कहां तक लाएंगे, यह भी देखने वाली बात होगी। साथ ही ओवैसी, अखिलेश पर भी सवाल उठाने से नहीं चूकते रहे हैं। ऐसें में दोनों का एक-साथ आना आसान नहीं होगा। अहम बात यह भी है कि अगर अखिलेश के साथ ओवैसी होते हैं, तो एक बात साफ है कि अखिलेश से ज्यादा से ओवैसी की पार्टी को फायदा मिलेगा। और इसका अंदाजा अखिलेश को भी जरूर होगा।
17 अक्टूबर को ओवैसी ने कहीं ये बात
राजभर के सपा के साथ गठबंधन करने के ऐलान पहले 17 अक्टूबर को एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया था उन्हें गैर बीजेपी गैर कांग्रेस दल के साथ गठबंधन करने में परहेज नहीं है। इसका अर्थ यह भी है कि वह समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकते हैं। हालांकि अभी तक अखिलेश यादव के तरफ से ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं। ऐसे में 27 अक्टूबर को भागीदारी संकल्प मोर्चे की रैली से ओवैसी के अगले कदम का खुलासा हो सकता है।