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Nirbhaya case: दोषियों के वकील ए पी सिंह भड़क उठे, बोले कितनी बार होगी दोषियों की न्यायिक हत्या

Updated Mar 05, 2020 | 17:44 IST

निर्भया गैंगरेप केस में दोषियों के खिलाफ चौथी बार डेथ वारंट 20 मार्च के लिए जारी की गई है। सवाल यह है कि क्या वो अंतिम तारीख होगी। इन सबके बीच दोषियों के वकील ए पी सिंह ने कहा कि आखिर कितनी बार उन्हें मारोगे।

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निर्भया केस के गुनहगारों के वकील हैं ए पी सिंह
मुख्य बातें
  • निर्भया के गुनहगारों के लिए चौथी बार पटियाला हाउस कोर्ट से डेथ वारंट जारी
  • दोषियों को अब 20 मार्च सुबह 5.30 बजे फांसी के तख्ते पर लटकाया जाएगा
  • दोषियों के पास अब कानूनी विकल्प खत्म, अनु्च्छेद 21 का दे मांग सकते हैं रहम

नई दिल्ली। अगर निर्भया के गुनहगारों ने कानूनी दांवपेंच का इस्तेमाल नहीं किया तो 20 मार्च सुबह 5.30 बजे उन्हें फांसी पर लटका दिया जाएगा। इससे पहले उनके खिलाफ तीन बार डेथ वारंट जारी किया गया था। लेकिन कानूनी उपायों की मदद से वो बचते रहे। तीन मार्च 2020 को फांसी की तारीख से एक दिन पहले जब तिहाड़ के जेल नंबर-3 में डमी को फांसी दी जा रही थी उसी समय पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी। वजह यह थी कि ऐन वक्त पर पवन गुप्ता ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका लगा दी थी जिसे आज खारिज कर दिया गया।

20 मार्च, सुबह 5.30 अब अंतिम तारीख
दया याचिका खारिज होने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने चौथी बार डेछ वारंच 20 मार्च के लिए जारी कर दिया। अदालत के फैसले के बाद निर्भया के गुनहगारों के वकील ए पी सिंह से जब मीडियाकर्मियों से कुछ सवाल पूछे तो वो भड़क उठे और कहा कि कितनी बार उनको मारोगे..यह बार बार न्यायिक हत्या की जा रही है। अदालत किसी शख्स को एक दफा मार सकती है लेकिन निर्भया केस में तो दोषियों को एक से ज्यादा बार मारने का फरमान सुना दिया गया है। 


'मीडिया ट्रायल, जनदबाव का पड़ा असर'
दोषियों के वकील ए पी सिंह ने कहा कि वो इस केस की सुनवाई के लिए जब अदालत में पेश हुए थे उस दिन से लेकर आज तक उनका मानना रहा है कि इस केस को पूर्वाग्रह के साथ देखा गया। निर्भया के दोषियों के खिलाफ मीडिया ट्रायल, जन दबाव और राजनीति हुई। वो आज भी कहते हैं कि उन लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ। आज के फैसले के बाद भी दोषियों के पास कई तरह के विकल्प हैं और वो उन विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे।

अदालत पर भी एपी सिंह आरोप
एपी सिंह ने अदालत पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने एक तरह से टिप्पणी करके हुए कहा कि वो आग से खेल रहे हैं। आपके लिए नतीजे गलत होंगे। इसका अर्थ आखिर क्या है, मतलब साफ है कि उन्हें डराया जा रहा है, धमकाया जा रहा है यही नहीं शोषण किया जा रहा है। इसको आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि कानूनी अधिकार इस्तेमाल करना सही नहीं है। 2 मार्च को दोषियों की फांसी टालने का आदेश देने से पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि आप आग से खेल रहे हैं, आपको सतर्क रहना चाहिए। किसी के द्वारा एक गलत कदम और आपको नतीजा पता है।

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