नई दिल्ली: साल 2012 में दिल्ली में हुए गैंगरेप मामले जिसे निर्भया केस (Nirbhaya case) के नाम से जाना जाता है इसके चारों दोषियों को फांसी की सजा की तारीख मुकर्रर हो चुकी है और 20 मार्च की सुबह उनको फांसी दी जानी है, इससे पहले वो कोई भी मौका जो उन्हें फांसी से बचा सकता है उसे अपनाने से चूक नहीं रहे हैं।
इसी क्रम में बिहार के औरंगाबाद के रहने वाले चारों दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की पत्नी पुनीता ने नया दांव चला है उसने बिहार के औरंगाबाद की अदालत में तलाक (Divorce) की अर्जी दाखिल की है इस दायर की गई अर्जी में अक्षय की पत्नी ने कहा कि वो विधवा बनकर नहीं जी सकती, इसलिए उसे तलाक दिया जाए।
ये मामला सामने आने के बाद औरंगाबाद से लेकर दिल्ली तक सनसनी है और इस मामले पर सुनवाई 19 मार्च को होनी तय हुई है। दाखिल अर्जी में अक्षय की पत्नी ने कहा है कि 'उसके पति को रेप के मामले में दोषी ठहराया गया है और उसे फांसी दी जानी है, जबकि वह निर्दोष हैं, ऐसे में वह उसकी विधवा बनकर नहीं रहना चाहती है।'
अक्षय ठाकुर की पत्नी के वकील ने बताया कि पीड़ित महिला को विधिक अधिकार है कि वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कुछ खास मामलों में वो तलाक का अधिकार पा सकती है जिसमें दुष्कर्म का केस भी शामिल है वहीं कानून के मुताबिक बलात्कारी की पत्नी तलाक ले सकती है।
20 मार्च को सुबह निर्भया के दोषियों को फांसी दी जाएगी
चारों दोषियों ने अभी तक फांसी टालने के लिए हरसंभव प्रयास कर लिया है, लेकिन इस बार ये अंतिम लग रहा है। चारों के खिलाफ जारी हुआ ये चौथा डेथ वारंट है, इससे पहले जारी हुए तीन डेथ वारंट किसी न किसी कानूनी वजह से टालने पड़े और इनकी जान बचती चली गई।
अब इनके सारे कानूनी विकल्प खत्म बताए जा रहे हैं, जिससे कहा जा सकता है कि इस बार इन्हें फांसी लग जाएगी। वहीं पवन जल्लाद 17 मार्च को तिहाड़ जेल पहुंच गया है।
तिहाड़ प्रशासन ने फांसी से 3 दिन पहले पवन को जेल में रिपोर्ट करने को कहा था। जेल अधिकारियों के अनुसार, जल्लाद के आने के बाद डमी फांसी का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा दोषियों का दिन में एक बार हेल्थ चैकअप किया जा रहा है। नियमित रूप से उनकी काउंसलिंग भी की जा रही है। चार दोषियों ने अपने-अपने परिवारों के साथ मुलाकात की हैं।
दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है
इस बीच दोषियों के परिजनों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है। इस पत्र में लिखा है, 'हम आपसे (राष्ट्रपति) और पीड़िता के माता-पिता से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे अनुरोध को स्वीकार करें और हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दें और भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध को रोकें, ताकि निर्भया जैसी दूसरी घटना न हो और अदालत को एक के बदले 5 लोगों को फांसी न देनी पड़े।'
' पत्र में आगे लिखा है कि बदले का भाव तो शक्ति की परिभाषा नहीं है, माफ करने में ही शक्ति है। पवित्र पुस्तक रामायण भी यही कहती है। इसमें लिखा है कि पाप, पापी व परिवार को समूल रूप से नष्ट करके भविष्य में होने वाले किसी भी अपराध पर रोक लगाएं।