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नीतीश के नेशनल प्लान में PK की जरूरत ! गुल खिलाएगी मीटिंग

Updated Sep 15, 2022 | 17:39 IST

Nitish Kumar-Prashant Kishore Meeting: प्रशांत किशोर ने रामधारी सिंह दिनकर की जो कविता ट्वीट की है, वह कर्ण-अर्जुन युद्ध के समय कर्ण और अश्वसेन के बीच के प्रसंग का हिस्सा है। ट्वीट और कविता के अर्थ से यही लगता है कि प्रशांत किशोर खुद को कर्ण बता रहे हैं। और साथ में अपने असमंजस को भी बयान कर रहे हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
फाइल फोटो: प्रशांत किशोर-नीतीश कुमार क्या फिर आएंगे साथ !
मुख्य बातें
  • जब से नीतीश कुमार ने राजद का साथ थामा है। उस वक्त से नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर में जुबानी जंग जारी है।
  • जद (यू) ने प्रशांत किशोर को 2020 में पार्टी से निकाल दिया था।
  • नीतीश कुमार को अपनी राष्ट्रीय छवि बनाने के लिए भी नई रणनीति की जरूरत है।

Nitish Kumar-Prashant Kishore Meeting: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही हर बार यह कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं है। लेकिन उनके हर नए कदम इस दावे पर संदेह करने की वाजिब वजहें दे देते हैं। ताजा मामला चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और नीतीश कुमार की मीटिंग का है। दोनों नेताओं के बीच 13 सितंबर को करीब दो-ढाई घंटे की मुलाकात हुई है। मीटिंग में क्या हुआ इस बात का किसी ने खुलासा तो नहीं किया लेकिन प्रशांत किशोर के ट्वीट ने कई संकेत दे दिए हैं। 

प्रशांत किशोर ने ट्वीट में क्या लिखा

मीटिंग पर सीधा कुछ नहीं कहते हुए प्रशांत किशोर ने रामधारी सिंह दिनकर की कविता  'तेरी सहायता से जय तो मैं अनायास पा जाऊंगा। आनेवाली मानवता को, लेकिन, क्या मुख दिखलाऊंगा?' ट्वीट किया है। यह कविता कर्ण-अर्जुन युद्ध के समय कर्ण और अश्वसेन के बीच के प्रसंग का हिस्सा है।ट्वीट और कविता के अर्थ से यही लगता है कि प्रशांत किशोर खुद को कर्ण बता रहे हैं। और साथ में अपने असमंजस को भी बयान कर रहे हैं। जिसमें लगता है कि वह किसी उधेड़बुन में हैं। और उन्हें लगता है कि अगर वह कोई नया कदम उठाते हैं तो उन्हें कई असहज सवालों का सामना करना पड़ेगा। 

ये असहज सवाल क्या हैं

असल में जब से नीतीश कुमार ने भाजपा का दामन छोड़ राजद का साथ थामा है। तो नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर में जुबानी जंग जारी है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि दिल्ली जाकर चार मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं तो इससे कुछ नहीं होगा। इसके बाद नीतीश कुमार ने भी पलटवार करते हुए कहा कि उनका मन बीजेपी के साथ जाने और भीतर से उनकी मदद करने का होगा।

जिसके बाद प्रशांत किशोर ने कह दिया था कि  कौन भाजपा के साथ काम कर रहा है,  हम सभी जानते हैं कि अभी एक महीना पहले तक नीतीश कुमार भाजपा के साथ ही थे। इसके अलावा उन्होंने कटाक्ष करते यह भी कहा था कि  17 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्हें याद आया कि 10 लाख नौकरी दी जा सकती है…पहले ही दे देना चाहिए था।

इसके अलावा वह 2 अक्टूबर से 3000 किलोमीटर की पद यात्रा का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच पनपी तल्खी और प्रशांत किशोर की पद यात्रा निश्चित तौर पर उनके मन में कई सवाल पैदा कर रही होगी।

असल में दोनों नेताओं के बीच तल्खी की वजह पुराना रिश्ता है। जब प्रशांत किशोर को जद (यू) से निकाला गया था। साल 2018 में प्रशांत किशोर ने जद(यू) का हाथ थामा था। लेकिन दो साल में ही उनका नीतीश कुमार से रिश्ता टूट गया। अब नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर की मीटिंग कई सारे कयासों को जन्म दे रही है।

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नीतीश को प्रशांत किशोर की क्यों है जरूरत

नीतीश कुमार की भाजपा का साथ छोड़ने के बाद से ही लगातार कोशिश विपक्षी एकता पर है। और वह इसके लिए राहुल गांधी से लेकर शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, के.चंद्रशेखर राव सहित दूसरे विपक्षी नेताओं से मिल रहे हैं। और वह बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि अगर विपक्ष एकजुट हो जाए तो भाजपा को हराया जा सकता है। और इस काम में उन्हें प्रशांत किशोर के साथ की जरूरत है। ऐसा इसलिए है कि प्रशांत किशोर की राहुल गांधी से लेकर,के.चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, एम.के.स्टालित सहित दूसरे प्रमुख नेताओं अच्छे संबंध हैं। वह इनके लिए चुनावी दंगल में काम कर चुके हैं। जिसका नीतीश कुमार फायदा उठा सकते हैं।

इसके लिए नीतीश कुमार को अपनी राष्ट्रीय छवि बनाने के लिए भी नई रणनीति की जरूरत है। इस मामले में भी प्रशांत किशोर उनके लिए कारगर साबित हो सकते हैं। प्रशांत किशोर ने 2014 के लोक सभा चुनाव में भाजपा और  गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भी काम किया था। और उसके बाद के परिणाम सभी को पता है। ऐसी ही नीतीश कुमार भी उनसे कर सकते हैं।

प्रशांत किशोर को क्या फायदा

प्रशांत किशोर राजनीतिक पारी खेलना चाहते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। कांग्रेस में उनकी एंट्री करीब-करीब हो गई थी, लेकिन ऐन मौके पर बात बन नहीं पाई। इसके पहले वह 2018 से 2020 के बीच जद (यू) के साथ पारी खेल चुके हैं। बीते मई में उन्होंने ऐलान किया था कि वह फिलहाल कोई पार्टी नहीं बनाएंगे और 3000 किलोमीटर की पद यात्रा करेंगे। जो 2 अक्टूबर चंपारण से शुरू होने वाली है। अब देखना है कि अगले 15 दिनों में राजनीति किस ओर करवट बदलेगी। 
 

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