- कोरोना के खिलाफ इम्यूनिटी और बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज देने की बात कही जाती है
- आईसीएमआर और केंद्र सरकार दोनों ने अभी इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है
- अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों में बूस्टर डोज लगाए जा रहे हैं
नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा है कि कोरोना महामारी से सुरक्षा और बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज (तीसरी खुराक) देने की जरूरत है, इस बात का समर्थन करने वाला कोई वैज्ञानिक साक्ष्य अभी सामने नहीं आया है। आईसीएमआर के निदेशक ने कहा कि भारत का लक्ष्य अपने सभी वयस्क नागरिकों को कोविड-19 टीके का दूसरा डोज देने का है, साथ ही सरकार की प्राथमिकता है कि पूरे विश्व को कोरोना टीके की खुराक मिले।
'बूस्टर डोज पर कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं'
समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में डॉक्टर भार्गव ने रविवार को कहा, 'वहीं, कोविड के खिलाफ बूस्टर खुराक की जरूरत का समर्थन करने के लिए अब तक वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है।' वरिष्ठ वैज्ञानिक का यह बयान ऐसे समय आया है जब इस तरह की रिपोर्टें हैं कि प्रतिरक्षण पर नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप नवंबर के अंतिम सप्ताह में बच्चों के लिए टीकाकरण की शुरुआत, बूस्टर डोज जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा करने वाला है।
केंद्र सीधे कोई फैसला नहीं ले सकता-स्वास्थ्य मंत्री
हाल के दिनों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई लोगों ने केंद्र सरकार से बूस्टर डोज की अनुमति देने का अनुरोध किया है। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कुछ दिनों पहले कहा, 'इस मामले में केंद्र सीधे कोई फैसला नहीं ले सकता। आईसीएमआर जब यह कहेगा कि बूस्टर डोज देने की जरूरत है, तब हम इस बारे में विचार करेंगे। अभी सरकार का लक्ष्य अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण करना है। एक बार पूर्ण टीकाकरण हो जाने पर बूस्टर डोज के बारे में विचार किया जाएगा। हमारे पास टीके का पर्याप्त भंडार है।'
82 प्रतिशत पात्र आबादी को टीके की पहली खुराक
अधिकारियों का कहना है कि भारत में लगभग 82 प्रतिशत पात्र आबादी को टीके की पहली खुराक लग गई है, जबकि लगभग 43 प्रतिशत जनसंख्या का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। मंगलवार की सुबह सात बजे तक के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोविड रोधी टीके की कुल 116.87 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। देश में टीकाकरण की शुरुआत इस साल 16 जनवरी को हुई।