Noida Police Commissioner IPS Alok singh Exclusive: चीन के वुहान शहर में पैदा हुए Covid 19 नाम के खतरनाक वायरस ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। दुनियाभर के 250 देशों में इस चीनी वायरस ने ऐसी दहशत पैदा कर दी है कि सब कुछ थम गया है। भारत में भी यह वायरस दो लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है जबकि मरने वालों का आंकड़ा 6075 तक पहुंच चुका है। केंद्र सरकार और सभी प्रदेश सरकारें इस वायरस से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं। हर महकमा इस चुनौती से निपटने की दिशा में काम कर रहा है।
कोरोना महामारी का यह काल सरकारों से लेकर हर महकमे तक के लिए चुनौतीपूर्ण है लेकिन इस जंग में पहले पायदान सबसे आगे खड़ी नजर आ रही है खाकी। दिन रात एक कर पुलिस महकमा कोरोना से लोहा ले रहा है। कोरोना काल में पुलिस का एक ऐसा चेहरा देखने को मिला जो पहले ही शायद दिखा हो। यह है मानवीय चेहरा। कभी लाठी डंडा लेकर आने वाली पुलिस राशन और दवाई लेकर पहुंची।
कोरोना महामारी से निपटने के लिए पुलिस जिस तरह काम कर ही है, उस पूरी व्यवस्था पर नोएडा के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह (IPS) ने टाइम्स नाऊ हिंदी से विशेष बातचीत की। आलोक सिंह का कहना है कि सुनियोजित और मानवीय ढंग से नोएडा पुलिस कोरोना से लड़ रही है।
पहले से तैयारी आई काम
कमिश्नर नोएडा आलोक सिंह का कहना है कि मार्च के पहले सप्ताह में जब कोरोना ने पैर पसारने शुरू किए थे तब ही नोएडा पुलिस ने खतरे को भांपते हुए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। इस चुनौती के लिए पहले पुलिस के जवानों को तैयार किया गया। उन्हें एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर) बनाकर बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया जिससे कि दूसरों को बचाने में पुलिसकर्मी खुद संक्रमित ना हों। इसी तरह प्रदेश में सबसे पहले हेजार्डस मैटेरियल सूट 'हेजमेट सूट' खरीदने की योजना बनाई गई। इसके बाद 25 रेस्पांस टीमें बनाई गईं जिन्हें सुरक्षा के लिहाज से यह सूट दिए गए।
प्रवासियों की चुनौती से निपटे
कमिश्नर आलोक सिंह अपनी कार्य कुशलता और नेतृत्व क्षमता के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर प्रवासी मजूदरों के जुटने के बाद पैदा हुए हालातों को उन्होंने सहजता से संभाला। खुद आलोक सिंह बताते हैं कि जब मजदूर जुटे तो 95000 मजदूरों को डेटा बैंक बनाकर उन्हें गंतव्य तक भेजने की व्यवस्था की गई। कहीं कोई हिंसा या किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। इसी तरह 1600 छात्रों का डेटा तैयार किया गया और उन्हें भी घरों को भेजा। जिला प्रशासन और अधिकारियों के बेहतर समन्वय से कोरोना के विरुद्धा एक मजबूत सिस्टम खड़ा है।
कमिश्नर ऑफिस में बनाया राशन बैंक
आलोक सिंह ने जानकारी दी कि कोरोना संक्रमण के शुरुआती चरण में उन्होंने इस चीज को भांप लिया कि लोग जरूरतों के लिए पुलिस से मदद मांगेंगे। इसलिए उन्होंने कमिश्नर ऑफिस की एक बिल्डिंग को राशन बैंक बनाया, जहां से 70 हजार से अधिक घरों तक जरूरती सामान एक कॉल या ट्वीट के बाद पहुंचाए गए।
पुलिस को मिला जनसेवा का मौका
उन्होंने बातचीत में आगे कहा कि कोरोना काल में पुलिस का मानवीय चेहरा और निखरा है। इस दौरान पुलिस को जनसेवा करने का अवसर मिला है। उन्होंने बताया कि संकट के इस वक्त में पुलिस ने लोगों की हर तरह से मदद की है। उन्होंने यह भी बताया कि नोएडा में 200 से अधिक चेकपोस्ट हैं, जहां दिन रात पुलिस के जवान तैनात हैं। इन सभी जवानों को गर्म खाना, पानी और इलेक्ट्रॉल पाउडर पहुंचाया जाता है। वहीं पुलिस कर्मियों इम्यूनिटी बढाने वाली एक्सरसाइज करने को भी कहा जा रहा है।
कमिश्नरी बनने के बाद महकमा हुआ प्रबल
जनवरी से नोएडा में कमिश्नरी व्यवस्था लागू हुई। कमिश्नरी बनने के बाद महकमे में हुए व्यवस्था परिवर्तन और अधिकारों को लेकर आलोक सिंह ने बताया कि नई व्यवस्था Citizen Centric व्यवस्था है। इसमें सशक्त नेतृत्व है। कोरोना काल में जिस तरह से पुलिस नजर आई, वह कमिश्नरी लागू होने का ही परिणाम है। अब नोएडा के पुलिस महकमे में कई क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं जिससे हर तरह की परिस्थिति से निपटा जा सकता है।
1995 बैच के आईपीएस हैं आलोक सिंह
मूलरूप से उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अतरौली तहसील के रहने वाले आलोक सिंह 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। पिता प्राजीक्यूशन विभाग, आगरा में संयुक्त निदेशक थे तो शुरुआती शिक्षा आगरा से हुई। इन्होंने मार्केटिंग ऐंड फाइनेंस में एमबीए किया है। आलोक सिंह एएसपी लखनऊ, एसएसपी कौशांबी, बागपत, सोनभद्र, बस्ती, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, बिजनौर, कानपुर, मेरठ और बाराबंकी रहे हैं। उन्हें नक्सल के खिलाफ अभियान के लिए प्रेसीडेंट गैलेंटरी मेडल मिल चुका है। ये कानपुर और मेरठ में पुलिस महानिरीक्षक रह चुके आलोक केंद्र सरकार में विदेश मंत्री और गृह मंत्री के प्राइवेट सेक्रेटरी, एयर इंडिया में डायरेक्टर सिक्युरिटी के पद पर भी तैनात रहे हैं।