- बस्तर पुलिस का पोस्टर्स, शॉर्ट फिल्म, ऑडियो क्लिप के जरिए नक्सलियों के खिलाफ अभियान
- बस्तर में बोली जाने वाली बोलियों को पोस्टर्स में इस्तेमाल
- बस्तर के आईजी ने कहा कि इस तरह के अभियान से आम लोगों से भावनात्मक तौर पर जुड़ने में मिली मदद
रायपुर: देश का छत्तीसगढ़ सूबा अपार संपदा से भरा हुआ है। लेकिन नकस्लवाद की काली छाया ऐसी पड़ी कि विकास की जिन ऊंचाइयों को इस राज्य को छूना था वो जमीन पर उस स्तर तक नजर नहीं आया, इसके मूल में नक्सलवाद है। अगर पिछले सात से 8 वर्षों का रिकॉर्ड देखें तो नक्सलवाद के खिलाफ पुरजोर लड़ाई लड़ी जा रही है और उसमें कामयाबी भी मिली है। इन सबके बीच बस्तर पुलिस ने नक्सलियों के नापाक इरादों को अलग तरह से एक्सपोज करने की पहल की है।
पोस्टर के जरिए नक्सलियों पर चोट
बस्तर पुलिस ने पोस्टर्स, शॉर्ट फिल्म, ऑडियो क्लिप और दूसरे तरीकों से न केवल नक्सलियों के इरादे को बता रहे हैं बल्कि आम लोगों में विश्वास का संचार भी कर रहे हैं पुलिस आम लोगों के साथ है और किसी भी निर्दोष शख्स को कभी परेशान नहीं करेगी। खास बात यह है कि पुलिस ने स्थानीय बोलियों गोंदी, हल्बी का सहारा लिया है। कैंपेन को बस्तर था माता गोंदी में और बस्तर चो आवाज हल्बी में इस्तेमाल किया गया है। पुलिस का कहना है कि गोंदी, हल्बी में लिखे पोस्टर के जरिए स्थानीय लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ने को कोशिश की गई है।
नक्सलियों के खिलाफ अभियान में मिली सफलता
इस पूरी कवायद के बारे में बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पत्तिलिंगम कहते हैं कि इस अभियान के जरिए सुरक्षा बलों को आम लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। नक्सली जिस तरह से बताने की कोशिश करते हैं कि सरकारें शोषण करने का चेहरा हैं, वो जो भी कर रहे हैं आम लोगों के हित में है। लेकिन अब इन पोस्टरों के जरिए नक्सलियों की करतूतों को सामने रखा जा रहा है ताकि आम लोग स्वविवेक से फैसला कर सकें क्या सही और क्या गलत है। हाल के दिनों में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी के साथ साथ एसटीएफ और कोबरा के जवानों को नक्सलियों के गढ़ में काफी अंदर तक घुसने में मदद मिली है।