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बेहद मुश्किल होती है गणतंत्र दिवस परेड की रिहर्सल, NSG कमांडोज को मिलता है बस एक ब्रेक

Updated Jan 15, 2021 | 17:54 IST

गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान परेड मुख्‍य आकर्षण होता है, लेकिन आपको शायद ही अंदाजा हो कि कड़ाके की ठंड के बीच हमारे जवान किस मुस्‍तैदी के साथ इसके लिए प्रैक्टिस करते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
बेहद मुश्किल होती है गणतंत्र दिवस परेड की रिहर्सल, NSG कमांडोज को मिलता है बस एक ब्रेक
मुख्य बातें
  • गणतंत्र दिवस परेड के लिए रोजाना राजपथ पर 4-5 घंटे परेड करते हैं कमांडोज
  • वे सुबह 5 बजे ही यहां पहुंच जाते हैं और सुबह 10 बजे तक उनका अभ्‍यास चलता है
  • इस दौरान उन्‍हें बस एक ब्रेक मिलता है, जिसके बाद वे फिर प्रैक्टिस में जुट जाते हैं

नई दिल्‍ली : देश 26 जनवरी को 72वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है, जब राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली के राजपथ पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद परेड की सलामी लेंगे और तिरंगा फहराएंगे। यह समारोह भारत की सांस्कृतिक विविधता, सामाजिक और आर्थिक प्रगति के साथ-साथ भारत की सैन्य ताकत को भी दुनिया के समक्ष रखता है, जिसमें सैन्‍य परेड आकर्षण का मुख्‍य केंद्र होता है। परेड आम तौर पर 90 मिनट का होता है, जिसे देखकर हर कोई जोश से भर जाता है। लेकिन आपको इसका अंदाजा शायद ही हो कि इस 90 मिनट के परेड के लिए जवानों को मुश्किल अभ्‍यास से गुजरना होता है।

रोजाना 5 घंटे प्रैक्टिस करते हैं कमांडोज

रोजाना राजपथ पर होने वाले इस परेड में नेशनल सिक्‍योरिटी गार्ड (NSG) के कमांडो भी हिस्‍सा लेते हैं, जो इन दिनों परेड के उसी मुश्किल अभ्‍यास में जुटे हुए हैं। ऐसे में जबकि कड़ाके की ठंड में अल सुबह लोग अपने घरों में रजाइयों के अंदर दुबके होते हैं, ये कमांडोज इंडिया गेट पर परेड की रिहर्सल कर रहे होते हैं। ये सुबह 5 बजे ही वहां पहुंच जाते हैं और फिर सुबह 10 बजे तक यानी करीब 5 घंटे रोजाना परेड के लिए रिहर्सल करते हैं। इस दौरान उन्‍हें महज ब्रेक मिलता है नाश्‍ते के लिए और इसके बाद वे फिर अपनी तैयारियों में जुट जाते हैं।

परेड की तैयारियों में जुटे ऐसे ही एक एनएसजी कमांडो ने बताया, 'हम रोजाना सुबह 4 बजे जगते हैं और सूर्योदय से पहले गणतंत्र दिवस परेड के अभ्‍यास के लिए पहुंच जाते हैं। हम करीब 4-5 घंटे अभ्‍यास करते हैं। हमें बस सुबह के नाश्‍ते के लिए एक ब्रेक मिलता है। नाश्‍ता भी हम अपना लेकर आते हैं। नाश्‍ते के बाद हम एक बार फिर अभ्‍यास करते हैं और फिर हमलोग लौटते हैं।'

वहीं एक अन्‍य सीनियर एनएसजी अधिकारी ने कहा, 'हम सुबह 5 बजे पहुंच जाते हैं और फिर अपना अभ्‍यास शुरू करते हैं। यह हमारा प्रतिदिन का रूटीन है और इसमें कोई बहुत अंतर नहीं होता। राजपथ पर हम तब तक बार-बार प्रैक्टिस करते हैं, जब तक कि हमारा मार्च बिल्‍कुल दुरुस्‍त नहीं हो जाता। अधिकारी हमारे मार्च पास्‍ट पर करीब से नजर रखते हैं। एक-एक कमांडो पर उनकी नजर होती है, ताकि परेड किसी गलती के बगैर संपन्‍न हो सके।'

इस बार दिखेगी कई तब्‍दीली

इस साल एनएसजी कमांडोज के परेड में कुछ तब्‍दीली लोगों को देखने को मिलेगी। अधिकारी के मुताबिक, इस बार पिछले साल के मुकाबले अधिक वाहनों को परेड में शामिल किया जाएगा और लोग परेड में शामिल कमांडोज को एक नई ऊर्जा के साथ देखेंगे। एनएसजी के जिन वाहनों को परेड में शामिल किया जाना है, उनका इस्‍तेमाल आम तौर पर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन को अंजाम देने में किया जाता है। इसके अतिरिक्‍त कमांडोज इस बार कंधे से कंधा मिलाकर नहीं, बल्कि एक-दूसरे से 1.5 मीटर की दूरी बरतते हुए मार्च करेंगे। ऐसा कोविड-19 को देखते हुए किया जा रहा है।

यहां उल्‍लेखनीय है कि इस बार गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन कोरोना वायरस महामारी के बीच हो रहा है। कोविड-19 महामारी को देखते हुए इस बार समारोह का आयोजन छोटे पैमाने पर किया जा रहा है। कोविड-19 के कारण इस बार गणतंत्र दिवस समारोह के गवाह विदेशी मेहमान नहीं बनेंगे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को यहां गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्‍य अतिथि के तौर पर आना था, लेकिन कोविड-19 के नए स्‍ट्रेन के ब्रिटेन में सामने आने और वहां संक्रमण की दर में बढ़ोतरी को देखते हुए इस यात्रा को टाल दिया गया। बताया जा रहा है कि वर्ष 1966 के बाद यह पहली बार होगा, जब गणतंत्र दिवस परेड में विदेशी मेहमान मुख्‍य अतिथि नहीं होंगे।
 

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