- उमर अब्दुल्ला का केंद्र पर बड़ा आरोप - इफ्तार के वक्त काटी जा रही है बिजली
- उमर बोले- ये वो हिंदुस्तान नहीं है जिसके साथ जम्मू कश्मीर ने इलहाक किया था
- हमें ऐसा पता होता तो फिर जम्मू कश्मीर का फैसला कुछ और होता- उमर
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने लाउडस्पीकर विवाद, हलाल मीट और बिजली कटौती जैसे मुद्दों को लेकर सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि शहरी और इफ्तार के वक्त बिजली काटी जा रही है। अब्दुल्ला ने कहा, 'अगर वाकई में बिजली की कमी है तो बाकी के घंटों में बिजली की कटौती करें, लेकिन शहरी और इफ्तार के वक्त बिजली नहीं काटिए. माइक, हलाल, हिजाब और रोजों में बिजली भी नहीं दे रहे तो क्या दे रहे हो आप हमें?'
क्या कहा अब्दुल्ला ने
लाउडस्पीकर विवाद को लेकर केंद्र पर बरसते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'सियासत के लिए एक गलत माहौल बनाया जा रहा है। ये सिर्फ हिजाब की बात नहीं है।हमें कहा जा रहा है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर इस्तेमाल नहीं होने चाहिए, क्यों? अगर बांकी जगहों पर लाउडस्पीकर होते हैं तो मस्जिदों में क्यों नहीं। दिन में पांच बार अजान होती है इसमें गुनाह क्या है?हम नहीं कहते हैं कि मंदिरों में माइक नहीं लगने चाहिए, क्या बाहर मंदिरों में माइक नहीं लगते हैं? क्या गुरुद्वारों में माइक नहीं लगते हैं, लेकिन आपको सिर्फ हमारा माइक खटकता है।'
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हलाल विवाद पर कही बड़ी बात
हलाल विवाद को लेकर उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'आप हमें कहते हो कि हलाल मीट नहीं बिकना चाहिए, क्यों? हमारे मजहब में है कि हमें हलाल मीट खाना है, आप क्यों उस पर रोक लगा रहे हैं। हम आपको मजबूर नहीं कर रहे हैं खाने पर, आप बताइए किस मुसलवान ने किसी गैर मुस्लिम को कहा है कि आपको मजबूरन हलाल खाना है? आप अपने हिसाब से खाइए, हम अपने हिसाब से खाइए। आपको केवल हमारा मजहब खटकता है, हमारे कपड़े पसंद नहीं है, आपको सिर्फ हमारा नमाज पढ़ने का तरीका पसंद नहीं है, बांकियों पर आपको कोई एतराज नहीं है।'
'तो हमारा फैसला कुछ और होता'
उमर अब्दुल्ला यहीं नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा,' ये एक नफरत यहां डाली जा रही है, ये वो हिंदुस्तान नहीं है जिसके साथ जम्मू कश्मीर ने इलहाक किया था, हमने जब इलहाक किया था तो उस हिंदुस्तान के साथ इलहाक किया था, जिसमें हर मजहब को बराबर के नजरिए से देखा जाएगा। हमें ये नहीं कहा गया था कि एक मजहब को ज्यादा अहमियत दी जाएगी और बांकी मजहबों को दबाया जाएगा। अगर हमें ये कहा गया होता तो शायद हमारा फैसला कुछ और होता। हमने उस समय सोच समझकर फैसला लिया था क्योंकि हमको कहा गया था कि हर मजहब को बराबर के नजरिए से देखा जाएगा। ये हमारी पहचान है... हम भाईचारे की बात करते हैं लेकिन हमारा मुकाबला उन लोगों से है जो इस भाईचारे को तहस-नहस करना चाहते हैं। हम उसकी इजाजत नहीं देंगे।'
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