- हिरासत से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बाहर आने के बाद जम्मू-कश्मीर में शुरू हुई राजनीतिक हलचल
- एनसी, पीडीपी सहित कश्मीर के दलों ने ‘पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ नाम से गठबंधन बनाया
- यह गठबंधन अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए आंदोलन करेगा, उमर बोले-कोई भी सरकार हमेशा नहीं रहती
नई दिल्ली : गुपकार घोषणा को वास्तविक रूप देने के लिए गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी सहित कश्मीर के स्थानीय दलों की बैठक हुई। इस बैठक में ‘पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन’ नाम के गठबंधन की घोषणा हुई। यह गठबंधन राज्य में अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करेगा। विपक्ष के इस कदम को राज्य में अपनी राजनीति दोबारा सक्रिय करने की दिशा में एक पहल के रूप में देखा जा रहा है। एनसी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर हुई इस बैठक में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, पीपल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन, पीपल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर और माकपा नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी ने हिस्सा लिया।
4 अगस्त 2019 की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया: उमर
राज्य के पूर्व सीएम एवं एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने 'इंडिया टुडे' से बातचीत में इस गठबंधन के बारे में कहा कि 4 अगस्त 2019 को हमने जो शुरू किया था उसे ही आज आगे बढ़ाया गया है। पिछली बार जब हम मिले तो हमें हिरासत में ले लिया गया और यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई। उन्होंने कहा, 'आज हमने इसे एक नाम, एक प्रारूप और एक एजेंडा दिया है। यह अवसरवाद नहीं है। यह पूरी तरह से राजनीतिक है।'
चीन वाले पिता के बयान पर दी सफाई
चीन की मदद से अनुच्छेद 370 की बहाली के सवाल पर उमर ने कहा कि उनके पिता फारूक अब्दुल्ला ने इस तरह का बयान नहीं दिया था। उमर ने कहा कि उनके पिता ने जम्मू-कश्मीर के आंतरिक मामले में चीन के बयान के बारे में बात की थी। चीन की मदद से अनुच्छेद 370 की बहाली का बयान भाजपा प्रवक्ता की ओर से दिया गया।
'हम भारत सरकार से कुछ नहीं मांग रहे'
नजरबंदी में रखे जाने के सवाल पर उमर ने कहा कि आप हिरासत में रहने के बाद क्या खुश होकर लौटेंगे? मुझे पीएसए के तहत हिरासत में रखा गया। मुझे अपने ही लोगों के लिए खतरा समझा गया। उमर ने कहा, 'हम भारत सरकार से कुछ नहीं मांग रहे हैं। हमारी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास कटोरा लेकर नहीं जा रहा। कोई भी सरकार हमेशा नहीं रहती। हम इंतजार करेंगे। हम इसे जिंदा रखेंगे। हम इसे छोड़ेंगे नहीं।'
पिछले वर्ष चार अगस्त को फारूक के आवास पर बैठक हुई थी
गौरतलब है कि भाजपा को छोड़कर कश्मीर के सभी बड़े राजनीतिक दलों की पिछले वर्ष चार अगस्त को फारूक के आवास पर बैठक हुई थी। यह बैठक पूर्ववर्ती राज्य में अनिश्चितता और तनाव के बीच हुई थी, क्योंकि केंद्र ने अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों को वहां तैनात किया था और अमरनाथ के श्रद्धालुओं सहित सभी पर्यटकों को जल्द से जल्द घाटी छोड़ने के लिए कहा गया था। स्थिति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान जारी किया था जिसे ‘गुपकार घोषणा’ के नाम से जाना जाता है। केंद्र सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को अपने ऐतिहासिक फैसले में अनुच्छेद 370 को समाप्त करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया।