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Riaz Naikoo - Operation Jackboot connection: रियाज नाइकू के सफाए के बाद पूरा हुआ एनएसए अजीत डोभाल का मकसद

Updated May 06, 2020 | 22:33 IST

NSA Ajit Doval connection with operation Jackboot: रियाज नाइकू के सफाए के बाद इस समय ऑपरेशन जैकबूट चर्चा में है। आखिर इसके जरिए कैसे एनएसए अजीत डोभाल की नजर थी।

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एनएसए अजीत डोभाल
मुख्य बातें
  • रियाज नाइकू को बुधवार को पुलवामा में मार गिराया गया
  • बुरहान वानी से रियाज तक सभी हुए ऑपरेशन जैकबूट के शिकार
  • ऑपरेशन जैकबूट की निगरानी खुद एनएसए अजीत डोभाल ने की थी।

नई दिल्ली। आतंकी रियाज नाइकू (Riaz Naikoo) का मारा जाना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी है। इसके साथ ही ऑपरेशन जैकबूट को कामयाब माना जा रहा है। खास बात यह है कि घाटी में वैसे आतंकी कमांडर जो योजनाबद्ध तरीके से सुरक्षाबलों को निशाना बनाते थे उनके खात्मे के लिए इस ऑपरेशन की शुरुआत की गई थी और इसे खुद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल निर्देशित कर रहे थे। ऑपरेशन जैकबूट की शुरुआत दक्षिण कश्मीर के पुलवामा, कुलगाम, अनंतनाग और शोपियां में शुरू की गई थी।

इस तरह ऑपरेशन जैकबूट की हुई शुरुआत
दरअसल इन जिलों को आतंकियों मे फ्री जोन घोषित कर रखा था। दरअसल कश्मीर में विदेशी आतंकियों के साथ साथ घाटी के भी युवा मुख्य धारा से भटक चुके थे और उन्होंने ए के 47 हाथ में थाम ली। कश्मीरी युवाओं की बुरहान समूह जिसे पोस्टर ब्वॉय के तौर पर भी जाना जाता था। उसने अपने ग्रुप में सब्जार भट्ट, वसीम मल्ला, नसीर पंडितस इस्फाक हमीद,तारिक पंडित, आदिल खांडी सद्दाम पद्दरस वसीम शाह और अनीस अहमद शामिल है। आतंकियों का जब यह समूह घाटी में कोहराम मचाने के लिए तैयार हुआ तो विदेशी धड़ा हासिए पर चला गया। आम कश्मीरी लड़के खुद को इनसे कनेक्ट करते थे। 

आतंक का बड़ा चेहरा बनकर उभरा था बुरहान
बड़ी बात यह थी कि जब स्थानीय युवकों को बुरहान के रूप में चेहरा मिला तो वो आतंकी गतिविधियों में शामिल होने लगे। एक तरह से घाटी में यह फैशन बनने लगा था। गुमराह हुए युवक स्थानीय पुलिसकर्मियों को निशाना बनाना शुरू कर दिए थे वो चाहते थे कि स्थानीय पुलिसकर्मी किसी एंटी टेरर ऑपरेशन में न शामिल हों। बुरहान की अगुवाई में आतंकियों का नेटवर्क मजबूत हो चुका था और उसे तोड़ना सुरक्षा बलों के लिए चुनौती थी। इस पृष्ठभूमि में

बुरहान और उसके साथियों का सफाया था मकसद
ऑपरेशन जैकबूट की शुरुआत की गई ताकि खास आतंकी चेहरों को खत्म कर आतंकवाद की रीढ़ को तोड़ा जा सके और इसकी जिम्मेदारी खुद एनएएस अजीत डोभाल ने ली। इसके तहत चून चून कर बड़े आतंकी चेहरों को ठिकाने पर लगाने का अभियान शुरु किया। इसके तहत वो आतंकी चेहरे भी शामिल किए गए जो बुरहान वाली के साथ नहीं थे। उदाहरण के लिए लतीफ टाइगर को तीन आतंकियों के साथ शोपियां में मार गिराया गया था। लेकिन इसकी तस्वीर बुरहान वानी के साथ नहीं था। 

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