- किसान आंदोलन के जरिए देश में तनाव पैदा करना चाहता है पाकिस्तान!
- खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस को किया अलर्ट, आईएसआई की नजर किसान आंदोलन पर
- आज के प्रदर्शन को देखते हुए किए गए हैं सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
नई दिल्ली: किसान आंदोलन को लेकर खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस और अन्य एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान स्थित आईएसआईप्रस्तावित किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान खतरा पैदा कर सकती है। दरअसल विरोध प्रदर्शनों के सात महीने पूरे होने पर आज किसान लखनऊ स्थित राजभवन का घेराव करने वाले हैं। खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सचेत किया है कि पाकिस्तान स्थित इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के प्रतिनिधि 26 जून (आज) को प्रस्तावित किसानों के विरोध उकसाकर बर्बाद कर सकते हैं।
मेट्रो स्टेशन किए गए हैं बंद
दिल्ली पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियों को एक पत्र भेजा गया है। पत्र मिलने के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कुछ मेट्रो स्टेशन भी शनिवार को कुछ घंटों के लिए बंद किया गया है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि समर्पित और पर्याप्त सुरक्षा को मेट्रो स्टेशनों के बाहर तैनात किया जाएगा। एहतियात के तौर पर और कानून-व्यवस्था की स्थिति में किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने शनिवार को सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक तीन मेट्रो स्टेशनों- विश्वविद्यालय, सिविल लाइंस और विधानसभा को बंद रखने का फैसला किया है। दिल्ली पुलिस की सलाह पर यह कदम उठाया गया है।
कृषि मंत्री की अपील
शनिवार को दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ इस प्रदर्शन में कई किसान समूहों के भी शामिल होने की उम्मीद है। इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान संघों से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन समाप्त करने का आग्रह किया। भोपाल में मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए, तोमर ने कहा, "मैं सभी किसान संघों से अपना आंदोलन समाप्त करने का आग्रह करता हूं। सरकार ने उनके साथ 11 दौर की बातचीत कर चुकी है। कृषि सुधार विधेयक किसानों के जीवन में बेहतरी लाएंगे।"
किसानों की मांग
मौजूदा किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से 'कृषि बचाओ और लोकतंत्र बचाओ' और तीन "कृषि विरोधी" कानूनों को निरस्त करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है। एसकेएम ने कहा कि वह 26 जून को पूरे भारत से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजेगा, जो किसानों की "पीड़ा और आक्रोश" पर उनके आंदोलन के सात महीने का प्रतीक है और उनसे किसान कानूनों को निरस्त करने की अपील करेगा।