मुख्य बातें
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा' के माध्यम से छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद किया
- PM मोदी ने स्कूली छात्रों के साथ बातचीत से पहले एक प्रदर्शनी में भाग लिया
- पीएम मोदी ने छात्रों को बताया कि कैसे परीक्षा से पहले, परीक्षा के दौरान और बाद में तनाव से दूर रहा जा सकता है
परीक्षा पे चर्चा 2020 LIVE UPDATES
- हमने डर के कारण आगे पैर नहीं रखे, इससे बुरी कोई अवस्था नहीं हो सकती। हमारी मनोस्थिति ऐसी होनी चाहिए कि हम किसी भी हालत में डगर आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे, ये मिजाज तो हर विद्यार्थी का होना चाहिए। विद्यार्थी कोई कालखंड के लिए नहीं होता। हमें जीवन भर अपने भीतर के विद्यार्थी को जीवित रखना चाहिए। जिंदगी जीने का यही उत्तम मार्ग है, नया-नया सीखना, नया-नया जानना। मेरा आप सभी से निवेदन है कि 'परीक्षा पे चर्चा- एग्जाम वॉरियर' पुस्तक अवश्य पढ़ें। कृपया अगले दो दिनों में इसे दो बार पढ़ें। यह आपके सभी प्रश्नों में आपकी सहायता करेगा।
- अगर आप बोझ लेकर परीक्षा हॉल में गए हैं तो सारे प्रयोग बेकार जाते हैं। आपको आत्म विश्वास लेकर जाना है। परीक्षा को कभी जिंदगी में बोझ नहीं बनने देना है। आत्मविश्वास बहुत बड़ी चीज है। साथ ही फोकस एक्टिविटी होनी जरूरी है। हम अपने कंर्फट जोन से बाहर निकलते हैं और चुनौती मोड में जाते हैं, तभी हम समझते हैं कि हम चीजें कर सकते हैं या नहीं। करियर बहुत महत्वपूर्ण है। सभी को कुछ जिम्मेदारी लेनी होगी। हम हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए राष्ट्र के लिए योगदान दे सकते हैं।
- सुबह उठकर आप पढ़ते हैं तो मन और दिमाग से पूरी तरह तंदुरुस्त होते होंगे। लेकिन हर किसी की अपनी विशेषता होती है, इसलिए आप सुबह या शाम जिस समय आरामदायक हों, उसी समय में पढ़ाई करो।
- प्रत्येक माता-पिता/शिक्षक को यह सोचना चाहिए कि जब बच्चे लगभग 4-5 वर्ष के थे तब उन्होंने बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया। आपने उन पर दबाव नहीं डाला, आपने उन्हें प्रेरित किया। क्या आपने उन्हें चलने की कोशिश करने के लिए थप्पड़ मारा था? नहीं। मैं चाहता हूं कि माता-पिता यह स्वीकार करें कि उनके बच्चे बड़े हो गए हैं, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि उनकी मदद करने के लिए उनका मानस कभी नहीं बदलना चाहिए और न ही दूर जाना चाहिए। मैं किसी परिजन पर कोई दवाब नहीं डालना चाहता, और न किसी बच्चे को बिगाड़ना चाहता हूं। जैसे स्टील के स्प्रिंग को ज्यादा खींचने पर वो तार बन जाता है, उसी तरह मां-बाप, अध्यापकों को भी सोचना चाहिए कि बच्चे कि क्षमता कितनी है। बच्चों को उनकी रुचि के सही रास्ते में आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करना चाहिए
- हमारे अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच एक अच्छा संबंध है। हमारे अधिकार सीधे दूसरों द्वारा की गई जिम्मेदारियों पर निर्भर हैं। यदि शिक्षक सही तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं, तो छात्रों का सीखने का अधिकार सुरक्षित है। नागरिक होते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करें। क्या हम यह तय कर सकते हैं कि 2022 तक हम सब कुछ वह सब खरीदेंगे जो भारत ने बनाया है? हम 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देंगे। इससे हमारी अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। इससे हमारा देश मजबूत होगा। हमें पानी को बेकार में नहीं बहने देना जाने चाहिए। हमें जरूरत से ज्यादा बिजली का उपयोग नहीं करना चाहिए। हमें ट्रेनों में बिना टिकट यात्रा नहीं करनी चाहिए। बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं जो पूरे देश के विकास में मदद कर सकती हैं।
- इस देश में अरुणाचल ऐसा प्रदेश है जहां एक दूसरे से मिलने पर जय-हिंद बोला जाता है। ये हिंदुस्तान में बहुत कम जगह होता है। वहां के लोगों ने अपनी भाषा के प्रचार के साथ हिंदी और अंग्रेजी पर भी अच्छी पकड़ बनाई है। हम सभी को नॉर्थ ईस्ट जरूर जाना चाहिए
- स्टूडेंट्स ने पूछा- विज्ञान और टेक्नोलॉजी कैसे उनकी मदद कर सकते हैं? पीएम ने कहा- टेक्नोलॉजी का भय मन में नहीं आने देना चाहिए। इसे अपना दोस्त मानें, इसे समझने की कोशिश करें। तकनीक को उपयोगी होना चाहिए। कभी-कभी टेक्नोलॉजी हमारा समय चुरा लेती है, इससे बचना चाहिए। स्मार्ट फोन जितना समय आपका समय चोरी करता है, उसमें से 10 प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें खींचकर ले जाए, उससे हमें बचकर रहना चाहिए। हमारे अंदर ये भावना होनी चाहिए कि मैं तकनीक को अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा। आज की पीढ़ी घर से ही गूगल से बात करके ये जान लेती है कि उसकी ट्रेन समय पर है या नहीं। नई पीढ़ी वो है जो किसी और से पूछने के बजाए, तकनीक की मदद से जानकारी जुटा लेती है। इसका मतलब कि उसे तकनीक का उपयोग क्या होना चाहिए, ये पता लग गया।
- दिल्ली की एक छात्रा ने पूछा- जो बच्चे पढ़ाई में अच्छे नहीं होते, लेकिन किसी अन्य में अच्छे होते हैं तो उनका भविष्य कैसा होगा? बच्चों ने पूछा- अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों और पढ़ाई में कैसे सामंजस्य बैठाया जाए। पीएम ने जवाब दिया- जिंदगी में दूसरे क्रियाकलाप भी जरूरी। नौजवानों को रोबोट की तरह काम नहीं करना है। हमें ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए।
- उत्तराखंड के छात्र ने पूछा- परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कैसे किए जा सकते हैं? पीएम ने कहा- सिर्फ परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं हैं। वो एक पढ़ाव हैं। आज दुनिया बहुत बदल गई है। माता-पिता बच्चों से ऐसा कहना बंद करें कि ये नहीं तो कुछ नहीं। बहुत स्कोप है, जीवन के किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं। परीक्षा का महत्व है, लेकिन परीक्षा ही जिंदगी है, इससे बाहर आना चाहिए।
- प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों को 2001 के भारत और ऑस्ट्रेलिया के कोलकाता टेस्ट का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कुंबले के भी जज्बे की बात की। वेस्टइंडीज दौरे पर चोट के बावजूद बॉलिंग कर ब्रायन लारा का विकेट लिया था।
- पीएम मोदी से एक छात्रा ने सवाल किया- परीक्षा के दौरान तनाव हो जाता है? इसको दूर कैसे करें? पीएम का जवाब: अपेक्षा पूरी होने पर मूड ऑफ ना करें। हर किसी को इस दौर से गुजरना पड़ता है। परीक्षा से पहले दिमाग में तरह-तरह के सवाल मन में आते हैं। हम विफलताओं में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं। मैं मिशन चंद्रयान में वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने गया। चंद्रयान की विफलता के बाद वैज्ञानिकों से मिला। विफलता से हर कोई निराश था। मैं होटल जाकर सुबह वैज्ञानिकों से मिलने गया और पूरा माहौल बदल गया।
- जैसे आपके माता-पिता के मन में 10वीं, 12वीं को लेकर टेंशन रहती है, तो मुझे लगा आपके माता-पिता का भी बोझ मुझे हल्का करना चाहिए। मैं भी आपके परिवार का सदस्य हूं, तो मैंने समझा कि मैं भी सामुहिक रूप से ये जिम्मेदारी निभाऊं।
- यह नया साल और दशक आपके और पूरे देश के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। इस नए दशक में जो कुछ भी होगा वह सीधे उन छात्रों से संबंधित होगा जो वर्तमान में दसवीं और बारहवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं।
- पीएम के रूप में मुझे कई तरह के कार्यक्रमों में शामिल होना होता है। हर कार्यक्रम एक नया अनुभव प्रदान करता है। लेकिन, अगर कोई मुझसे पूछे कि वह कौन सा कार्यक्रम है जो मेरे दिल को सबसे ज्यादा छूता है, तो मैं कहूंगा कि यह वही है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'परीक्षा पे चर्चा 2020' के दौरान स्कूली छात्रों के साथ बातचीत से पहले एक प्रदर्शनी में भाग लिया।