- कोरोना के मामलों में गिरावट के बीच बाजारों में देखी जा रही है भीड़
- आईएसएन- सी वोटर के सर्वे में लोग बोले- जनता हो रही है लापरवाह, होगी तीसरी लहर के लिए जिम्मेदार
- सर्वे में अधिकांश लोगों ने माना- ओवैसी के आने से यूपी चुनाव पर नहीं पड़ेगा फर्क
नई दिल्ली: आईएएनएस सी वोटर ने पाया है कि देश में अगर कोविड की तीसरी लहर आती है तो इसके लिए आम जनता ही जिम्मेदार होगी क्योंकि उसने कोरोना मानदंडों (प्रोटोकॉल्स) का उल्लंघन करना शुरू कर दिया है। विभिन्न शहरों में बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर तथा हिल स्टेशनों पर भी कोविड के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए भारी भीड़ देखी जा रही है, भारत में अधिकांश लोगों का मानना है कि देश में तीसरी कोरोना लहर आने पर इसके लिए आम जनता जिम्मेदार होगी।
आईएएनएस सीवोटर का सर्वे
आईएएनएस सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर में, 57.0 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यदि देश में घातक बीमारी की तीसरी लहर आती है, तो आम जनता जिम्मेदार होगी। सर्वेक्षण के दौरान साक्षात्कार में शामिल लोगों में से केवल 34.0 प्रतिशत ने कहा कि इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। शेष उत्तरदाताओं की इस बात पर कोई राय नहीं थी कि यदि देश घातक वायरस की एक और लहर से फंस गया है तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
केंद्र द्वारा किए गए दावों के बावजूद कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है, बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने आईएएनएस सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर में साक्षात्कार में कहा कि उन्हें वैक्सीन की खुराक आसानी से नहीं मिल पा रही है और इसे पाने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। सर्वेक्षण में साक्षात्कार में शामिल 47.0 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वैक्सीन लेने के लिए उन्हें लंबे समय तक प्रतीक्षा करना पड़ रहा है जबकि 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने एक अलग अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के लिए अपना स्लॉट बुक करने के बाद वे लंबी अवधि की प्रतीक्षा किए बिना आसानी से टीके की खुराक प्राप्त करने में सक्षम हैं।। शेष उत्तरदाता देश में वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में सुनिश्चित नहीं थे।
लोगों ने माना- मोदी सरकार ने देरी से लिया यह निर्णय
सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश भारतीयों का मानना है कि देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच देश के हर जिले में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का मोदी सरकार का निर्णय देरी से लिया गया था। आईएएनएस सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर में शामिल 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकार देश के हर जिले में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लेने में देर कर रही है। केवल 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह निर्णय सही समय पर लिया गया था। शेष उत्तरदाता इस बात को लेकर कोई मत नहीं जाहिर कर पा रहे थे कि क्या सरकार ने सही समय पर निर्णय लिया या महामारी के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेने में देर हो गई।
यूपी चुनाव पर भी जानी लोगों की राय
ट्रैकर ने पाया कि असदुद्दीन ओवैसी यूपी की राजनीति में महत्वपूर्ण कारक नहीं हैं।अधिकांश लोगों की राय है कि 2022 में उत्तर प्रदेश के चुनावी मुकाबले में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और एआईएमआईएम राज्य विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाएगी। आईएएनएस सीवोटर लाइव ट्रैकर में शामिल 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि ओवैसी की पार्टी विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाएगी। केवल 28 फीसदी ने उत्तर दिया कि एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश में बिहार और महाराष्ट्र के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराने में सक्षम होगी। शेष उत्तरदाताओं ने अगले साल की शुरूआत में होने वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम के प्रदर्शन को लेकर कोई राय नहीं दी।
निकाय चुनावों पर लोगों की राय
पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में भी जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों के दौरान राजनीतिक हिंसा देखी गई है और सत्तारूढ़ भाजपा पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने और स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए हिंसा का सहारा लेने का आरोप लगाया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि विभिन्न राज्यों में शासन कर रहे दल स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए इस तरह के हथकंडे नहीं अपनाते हैं। आईएएनएस सीवोटर लाइव ट्रैकर में 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि विभिन्न राज्यों में सभी सत्तारूढ़ दल स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं और सरकारी तंत्र का दुरुपयोग नहीं करते हैं, सर्वेक्षण में शामिल 35 प्रतिशत लोगों ने अलग राय व्यक्त की। 19.8 प्रतिशत उत्तरदाता इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि सभी सत्तारूढ़ दल स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं या नहीं।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापस जाने के बारे में क्या सोचते हैं लोग
जैसा कि अमेरिकी सरकार ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में उसका सैन्य मिशन 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा, बड़ी संख्या में भारतीयों का मानना है कि अमेरिका के सैन्य मिशन के दो दशकों के दौरान युद्ध से तबाह अफगानिस्तान की स्थिति में सुधार हुआ है। ट्रैकर में शामिल 43 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिकी सशस्त्र बलों की उपस्थिति के दौरान अफगानिस्तान में स्थिति बेहतर हुई क्योंकि देश में अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रभाव में काफी गिरावट आई है। केवल 26 प्रतिशत ने कहा कि देश में अमेरिका के सैन्य मिशन के कारण अफगानिस्तान में स्थिति और खराब हो गई है। 31 प्रतिशत भारतीयों ने अफगानिस्तान में हो रहे घटनाक्रम के बारे में कोई राय नहीं दी।
34 फीसदी ने माना गलत निर्णय
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन को समाप्त करने के अमेरिकी सरकार के फैसले पर भारतीय विभाजित दिखाई दिए। सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर के दौरान साक्षात्कार में शामिल 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह बिडेन प्रशासन द्वारा लिया गया सही निर्णय है। लगभग इतनी ही संख्या - 34 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह मौजूदा हालात को देखते हुए एक गलत निर्णय है। तालिबान तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसी लिहाज से यह सही फैसला नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल लोगों की लगभग इतनी ही संख्या - 31 प्रतिशत तय नहीं कर पा रहे थे कि यह अमेरिकी सरकार द्वारा लिया गया सही निर्णय है अथवा गलत।