- आठ चीते 17 सितंबर, 2022 को भारत में अपने नए बसरे कुनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे
- 72वें जन्मदिन के मौके पर पीएम ने केएनपी में बनाए गए विशेष बाड़ों में किया रिलीज
- केंद्र सरकार ने भारत में चीतों को लगभग सात दशक पहले विलुप्त कर दिया था घोषित
Narendra Modi on Cheetah in India: मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आठ चीता भले ही आ गए हों, मगर आम लोग फिलहाल इनका दीदार नहीं कर सकेंगे। आप इनकी रफ्तार, चाल और कमाल का दीदार करने के लिए कुछ महीनों का इंतजार करना पड़ेगा। शनिवार (17 सितंबर, 2022) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से अपील की कि वे वहां जाकर इसे तुरंत न देखने का प्लान बनाएं। उन्होंने कहा कि ये चीते फिलहाल इस पार्क में मेहमान और अनजान हैं, इसलिए इन्हें देखने के लिए आपको थोड़ा धैर्य दिखाना होगा और कुछ समय इंतजार करना होगा।
एम बोले- दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं। और मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है। मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहाँ की सरकार का भी धन्यवाद करता हूँ जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं।
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ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ। आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। ये बात सही है कि, जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है। विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं। कुनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का ग्रासलैंड ईकोसिस्टम (grassland ecosystem) फिर से रीस्टोर होगा और जैवविविधता बढ़ेगी।
सुनिए, पीएम का संबोधनः
बकौल, "कुनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीतों को देखने के लिए देशवासियों को कुछ महीने का धैर्य दिखाना होगा, इंतजार करना होगा। आज ये चीते मेहमान बनकर आए हैं, इस क्षेत्र से अनजान हैं। कुनो नेशनल पार्क को ये चीते अपना घर बना पाएं, इसके लिए हमें इन चीतों को भी कुछ महीने का समय देना होगा। अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। हमें अपने प्रयासों को विफल नहीं होने देना है।"
पीएम मोदी के मुताबिक, प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी, भारत के लिए ये केवल Sustainability और Security के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये हमारी Sensibility और Spirituality का भी आधार हैं। आज 21वीं सदी का भारत, पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है कि Economy और Ecology कोई विरोधाभाषी क्षेत्र नहीं है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही, देश की प्रगति भी हो सकती है, ये भारत ने दुनिया को करके दिखाया है। आज देश में 75 wetlands को रामसर साइट्स के रूप में घोषित किया गया है, जिनमें 26 साइट्स पिछले 4 वर्षों में ही जोड़ी गई हैं। देश के इन प्रयासों का प्रभाव आने वाली सदियों तक दिखेगा, और प्रगति के नए पथ प्रशस्त करेगा।
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उन्होंने बताया, "हमारे यहाँ एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है। इसी तरह, आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है। इसके पीछे दशकों की मेहनत, शोध आधारित पॉलिसियां और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है। बाघों की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है। असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है। हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है।"