क्या मोदी-योगी की तस्वीर पर किसी की नौकरी ली जा सकती है...खबर उत्तर प्रदेश के मथुरा से है, जहां एक कूड़े वाली की गाड़ी में पीएम मोदी और सीएम योगी की तस्वीर मिली...मथुरा के सुभाष इंटर कॉलेज के पास किसी राहगीर ने सफाई कर्मचारी को रोका, और इसका वीडियो बनाया,,,,सफाई कर्मचारी ने पूछने पर बताया कि पीएम और सीएम की ये तस्वीर उसे कूड़े के ढेर में मिली थी...वीडियो वायरल हुआ तो नगर निगम फौरन हरकत में आया,निगम आयुक्त ने सफाईकर्मी को बर्खास्त कर दिया
- हमसे क्या भूल हुई, जो ये सजा हमको मिली?
- क्या कूड़े वाले को नौकरी से निकालना सही है ?
- गलती किसकी-कूड़ा उठाने वाले की या फेंकने वाले की ?
- क्या बर्ख़ास्तगी का समर्थन करेगी सरकार ?
इस वीडियो के सामने आने के बाद बवाल मच गया.. वीडियो वायरल हुआ.. जांच हुई.. फिर कार्रवाई हुई.. और सफाई कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया.. कहा गया कि सफाई कर्मचारी ने लापरवाही की है.. लेकिन जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं.. वैसे ही इस खबर का दूसरा पहलू भी है, जो हम आपको सिलसिलेवार तरीके से बताने जा रहे हैं।
नगर निगम आयुक्त ने अपनी जांच में इस एंगल को संज्ञान में लिया या नहीं?
मेयर तक ये कह रहे हैं कि उसकी गलती सिर्फ इतनी है कि उसने कूड़े में पड़ी फोटो को कूड़े के गाड़ी में रख दिया.. तो फिर सफाईकर्मी पर कार्रवाई क्यों हुई.. ये जानकारी सामने आ रही है कि मथुरा नगर निगम कार्यालय में रंगाई पुताई का काम चल रहा है .. इसी दौरान कार्यालय के ही किसी केबिन से ये पुरानी तस्वीरें उतारी गईं.. और इन्हें बाहर फेंक दिया गया.. सुबह जब सफाई कर्मचारी ने इन तस्वीरों को वहां पड़ा देखा तो बाकी कूड़े के साथ इन तस्वीरों को भी अपनी कूड़ा गाड़ी में रख लिया.. ऐसे में सवाल ये उठता है कि नगर निगम आयुक्त ने अपनी जांच में इस एंगल को संज्ञान में लिया या नहीं
राहगीर ये सवाल उठा रहे थे कि इन तस्वीरों को कूड़ा गाड़ी में ही क्यों रखा.. इस तस्वीर को एक बार फिर से देखिए.. एक सफाईकर्मी.. उसके दो हाथ.. जिनसे वो अपने कूड़ा गाड़ी को धकेल रहा है.. ऐसे में वो इन तस्वीरों को कहां रखता.. चूंकि इसका काम सफाई करना है.. लिहाजा कूड़े के ढेर में पड़ी इन तस्वीरों को अपनी कूड़ा गाड़ी में रख लिया..
इसी कहानी का एक और पहलू आपको दिखाते हैं
देश के महापुरुषों का सम्मान होना चाहिए.. कू़ड़ा गाड़ी में चार तस्वीरें हैं.. एक पीएम मोदी की.. एक सीएम योगी की.. राहगीरों की बात से ये पता चलता है कि इसमें एपीजे अबुल कलाम आजाद के साथ एक और महापुरुष की तस्वीर थी.. ऐसे में इन राहगीरों ने बाकी की दो तस्वीरों को कूड़े के बीच से क्यों नहीं निकाला.. क्या कूड़ा गाड़ी में एपीजे अबुल कलाम आजाद की तस्वीर से इन्हें ऐतराज नहीं था.. क्या इन लोगों को सच में महापुरुषों के सम्मान की चिंता थी या फिर ये एक पब्लिटी स्टंट था.. जिसकी वजह से एक गरीब.. संविदा सफाई कर्मचारी पर गाज गिर गई...
तस्वीर फेंकी किसी और ने और सजा सफाई कर्मचारी को मिली
तस्वीर फेंकी किसी और ने और सजा सफाई कर्मचारी को मिली सफाई कर्मचारी का कूड़े के ढेर को साफ करना.. ऐसे में उसे अपना काम करने की सजा क्यों मिली.. हिंदुस्तान.. वो देश जहां प्रधानमंत्री खुद सफाई कर्मचारियों के हिमायती हैं.. समय समय पर वो इस बात को जाहिर भी करते आए हैं.. क्या उसी हिंदुस्तान में एक सफाई कर्मचारी की भूल के लिए उसे इतनी बड़ी सजा मिलनी चाहिए।