नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भगवान बिरसा मुंडा एक व्यक्ति नहीं परंपरा थे। उन्होंने समाज के लिए अपना जीवन दिया। अपनी संस्कृति एवं देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया। वह आज भी हमारी आस्था, विश्वास में भगवान के रूप में उपस्थित हैं। पीएम ने कहा कि वह समझते हैं कि जनजातीय गौरव दिवस समाज को सशक्त करने के इस महायज्ञ को याद करने का अवसर है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बिरसा मुंडा की याद में रांची में निर्मित संग्रहालय का उद्घाटन किया।
'भगवान बिरसा को पता थीं चुनौतियां'
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है। भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए पूरे देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को बधाई देता हूं।
संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा संग्रहालय-पीएम
पीएम ने कहा कि ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा। वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया। भारत की सत्ता, भारत के लिए निर्णय लेने की अधिकार-शक्ति भारत के लोगों के पास आए, ये स्वाधीनता संग्राम का एक स्वाभाविक लक्ष्य था।
'भगवान बिरसा ने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया'
उन्होंने कहा, 'लेकिन साथ ही, ‘धरती आबा’ की लड़ाई उस सोच के खिलाफ भी थी जो भारत की, आदिवासी समाज की पहचान को मिटाना चाहती थी। भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया। इसलिए, वो आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं। धरती आबा बहुत लंबे समय तक इस धरती पर नहीं रहे थे। लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे से कालखंड में देश के लिए एक पूरा इतिहास लिख दिया, भारत की पीढ़ियों को दिशा दे दी।