- आपदा को अवसर में बदलने के लिए शुरू हुए प्रयास, पीएम मोदी ने किया चैंपिंयंस पोर्टल का उद्घाटन
- एमएसएमई की छोटी-छोटी इकाइयों की हर तरह से मदद करेगा चैंपियंस
- अधिकारियों को दिए गए हैं सख्त निर्देश, पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है चैंपियंस
नई दिल्ली: कोरोना संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाउन के बीच सरकार की तरफ से राहत के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले आपदा को अवसर बनाने की बात कही थी जिसे धरातल पर उतारने का कार्य भी शुरू हो गया है। सरकार आपदा को अवसर बनाकर देश के आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी शुरू कर चुकी है। इसी दिशा में पीएम मोदी ने आज champions.gov.in के पोर्टल को लॉन्च किया।
क्या है चैंपियंस पोर्टल
दरअसल चैंपियंस का अर्थ है- 'क्रिएशन एंड हार्मोनियस एप्लीकेशन ऑफ मार्डन प्रोसेसेज फॉर इंक्रीजिंग द आउटपुट एंड नेशनल स्ट्रेंथ'। यह पोर्टल अपने नाम के अनुरूप ही छोटे और मझौले उद्योगों (एमएसएमई) की छोटी-छोटी इकाइयों की हर तरह से मदद कर उन्हें चैंपियन बनाएगा। चैंम्पियन्स पोर्टल को एमएसएमई की इन छोटी इकाइयों के लिए वन स्टॉप साल्यूशन माना जा रहा है। चैपियन्स पोर्टल पर कारोबारियों की शिकायत के बिना भी उनकी समस्या निपटाई जा सकेगी। उदाहरण के लिए अगर कोई एक बैंक कारोबारियों के लोन आवेदन को बार-बार रद कर रहा है या किसी एक क्षेत्र में एक ही तरह की समस्या ज्यादा हो रही है तो आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से ये समस्या चैंपियन्स पोर्टल पर दिखने लगेगी जिसे अधिकारी निपटा सकते हैं।
देश का पहला पोर्टल
चैंपियंस देश का पहला ऐसा पोर्टल है जिसे भारत सरकार की मुख्य केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली यानी सीपी ग्राम्स से जोड़ा गया है। मतलब अगर देश का कोई भी नागरिक सीपीग्राम्स पर शिकायत करता है तो ये सीधे चैंपियन्स पोर्टल पर आ जाएगी। पहले ये शिकायत मंत्रालयों को भेजी जाती थी जिसे मंत्रालय के सिस्टम पर कापी किया जाता था। लेकिन इसके लॉन्च होने से शिकायतों का तेजी से निपटारा किया जा सकेगा। सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि कोई भी फाइल 72 घंटे से ज्यादा समय तक उनके पास ना रहे। उन्हें जो भी फैसला लेना है वो फैसला लें पर ये फाइल 3 दिन से ज्यादा अटकी नहीं रहनी चाहिए।
9 दिन में तैयार
आपदा को अवसर बनाने का सबसे पहला उदाहरण इस पोर्टल का कंट्रोल रूम है। ये कंट्रोल रूम कार्यालय के एक ऐसे कमरे में बनाया गया है जो पहले गोदाम था। दो दिन से कम समय गोदाम की में कायापलट कर उसे कंट्रोल रुम में बदल दिया। इसके लिए मंत्रालय के कर्मचारियों, आई टी टीम और मजदूरों ने लगातार 38 घंटे तक लगातार काम किया यानी जिस कमरे में अब तक कार्यालय का कोई कर्मचारी झांकने तक नहीं जाता था वहीं से अब देश भर की एमएसएमई यूनिट्स की समस्या का समाधान होगा। इस प्रणाली को 9 दिन में बनाकर इसका ट्रायल शुरु भी कर दिया गया है।
स्वदेशी तकनीक पर आधारित
पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बने चैंपियंस पोर्टल के कंट्रोल रूम का एक नेटवर्क हब एंड स्पोक मॉडल में बनाया गया है।यह हब नई दिल्ली में एमएसएमई सचिव के कार्यालय में स्थित है और राज्यों में मंत्रालय के विभिन्न कार्यालयों को इससे जोडा गया है। अब तक 66 राज्यों में स्थानीय स्तर के नियंत्रण कक्ष बनाए जा चुके हैं जिन्हें इस पोर्टल के सिस्टम से जोड़ दिया गया है।