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Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों नेताओं से विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। तीनों नेता एससीओ के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए उज्बेकिस्तान के ऐतिहासिक शहर समरकंद पहुंचे हुए हैं।
पीएम मोदी ने रूस और तुर्की के राष्ट्रपति से की मुलाकात
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में पीएम मोदी, अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थक है भारत
आज का युग युद्ध का नहीं- पीएम मोदी
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि आज भी दुनिया के सामने जो सबसे बड़ी समस्याएं हैं, खासकर विकासशील देशों के लिए फूड सिक्योरिटी, फ्यूल सिक्योरिटी, उर्वरकों की जो समस्याएं हैं, उसपर हमें रास्ते निकालने होंगे। आपको भी उसपर पहल करनी होगी। आज का युग युद्ध का नहीं है। हमने फोन पर आपके कई बार इस बारे में बात भी की है कि लोकतंत्र कूटनीति और संवाद दुनिया को एक स्पर्श करती हैं। साथ ही कहा कि मैं आपका और यूक्रेन का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि संकट के काल में शुरू में जब हमारे हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे थे। आपकी और यूक्रेन की मदद से हमारे छात्रों को हम निकाल पाए।
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प्रधानमंत्री मोदी के ऑफिस ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समरकंद में एससीओ के सम्मेलन से इतर तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन से बातचीत की। दोनों नेताओं ने विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दोनों नेताओं ने बैठक में उपयोगी बातचीत की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और द्विपक्षीय व्यापार में हाल में हुए फायदों को सराहा। साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।
वहीं तुर्की के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्रों में अपने भाषण में बार-बार कश्मीर मुद्दे का जिक्र किया है। भारत ने उनके बयानों को पूरी तरह अस्वीकार्य बताते हुए कहा था कि तुर्की को दूसरे देशों की संप्रभुता का सम्मान करना और अपनी नीतियों में अधिक गहनता से इसे व्यक्त करना सीखना चाहिए। रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में एक सम्मेलन में एससीओ की स्थापना की थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने थे। समरकंद सम्मेलन में ईरान को एससीओ के स्थायी सदस्य का दर्जा दिया जा सकता है।