- इंग्लैंड के पीएम बोरिस जॉनसन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं
- गुरुवार को गुजरात का किया था दौरा
- दोनों देशों की साझी विरासत का किया जिक्र
इंग्लैंड के पीएम बोरिस जॉनसन दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं। शुक्रवार को पीएम मोदी से दिल्ली में मुलाकात हुई और उन्होंने कह कि जितना मजबूत संबंध दोनों देशों के बीच अब है उतना मजबूत संबंध पहले नहीं रहा। मीटिंग से पहले उन्होंने अपने एजेंडे के बारे में बताया था। बोरिस जॉनसन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लेकर ऊर्जा सुरक्षा से लेकर रक्षा तक हमारे लोकतंत्रों की साझेदारी महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया निरंकुश राज्यों से बढ़ते खतरों का सामना कर रही है। उन्होंने गुरुवार को कहा था कि भारत के साथ सिर्फ इंग्लैंज का रिश्ता व्यापार से नहीं जुड़ा है हम लोगों के बीच आत्मिक संबंध रहा है। आज जब हम अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तो हमें और सतर्क नजरिए के साथ आगे बढ़ना होगा।
बोरिस जॉनसन ने क्या कहा
- भारत के साथ ब्रिटेन की साझेदारी तूफानी समुद्र में प्रकाशपुंज है।
- दुनिया निरंकुश देशों से बढ़ते खतरों का सामना कर रही है, जो लोकतंत्र को कमतर, मुक्त व्यापार को खत्म करने और सम्प्रभुत्ता को कुचलना चाहते हैं।
- भारत और ब्रिटेन के बीच जलवायु परिवर्तन से लेकर ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा तक के मुद्दों पर भागीदारी महत्वपूर्ण है।
'कठिन मामलों को उठा सकते हैं'
ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को कहा कि उनके देश ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ राजनयिक स्तर पर यूक्रेन युद्ध का मुद्दा उठाया है और हर कोई भारत को समझता है और रूस ने ऐतिहासिक रूप से बहुत अलग रिश्ते साझा किए हैं। उन्होंने संकेत दिया कि जब वह शुक्रवार को नई दिल्ली में अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से मिलेंगे तो वो कठिन मुद्दों को उठाएंगे।बता दें कि जॉनसन ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय जेसीबी द्वारा स्थापित वडोदरा के पास गुजरात के हलोल औद्योगिक क्षेत्र में एक नए बुलडोजर कारखाने के दौरे के दौरान यूके मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।
दोनों देशों में मिलकर आगे बढ़ने की संभावना
जॉनसन के हवाले से कहा गया कि हम हमेशा कठिन मुद्दों को उठाते हैं, बेशक हम करते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि भारत 1.35 अरब लोगों का देश है और यह लोकतांत्रिक है, यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत ने समय समय पर अपनी प्रासंगिकता को साबित किया है। दोनों देश मिलकर आगे बढ़ सकते हैं। इंग्लैंड और भारत दोनों अपनी दक्षता को मिलकर जमीन पर उतार सकते हैं।