- निजीकरण के मुद्दे पर डॉ कुमार विश्वास ने कसा तंज
- सब कुछ निजी हाथों में जाएगा तो भला क्यूं टैक्स देते हैं।
- केंद्र सरकार की निजीकरण नीति की हो रही है आलोचना
नई दिल्ली। डॉक्टर कुमार विश्वास अपनी कविता के जरिए जहां लोगों को गुदगुदाते हैं, वहीं व्यवस्था पर तंज भी कसते है। उनके निशाने पर हर वो शख्स होता है जिसकी कथनी और करनी में फर्क नजर आता है। वो अपनी आम आदमी पार्टी की सरकार पर भी तंज कसने का मौका नहीं छोड़ते। इस दफा उन्होंने निजीकरण को मुद्दा बनाया और अपने ही अंदाज में सवाल किया।
निजीकरण के मुद्दे पर कुमार विश्वास का तंज
बिजली प्राइवेट/पानी प्राइवेट
स्वास्थ्य प्राइवेट/शिक्षा प्राइवेट
सुरक्षा प्राइवेट/दूरसंचार प्राइवेट
रक्षा प्राइवेट/खेती प्राइवेट
सड़क प्राइवेट/रेलस्टेशन प्राइवेट
पोर्ट-एअरपोर्ट प्राइवेट
मालिक,जब नागरिक की हर सुविधा, प्राइवेट सैक्टर सँभालेगा तो हम आपको इतना टैक्स क्यूँ देते हैं।
आखिर तंज कसने की जरूरत क्या थी
अगर डॉ कुमार विश्वास ने इस अंदाज में तंज कसा तो क्या उसके पीछे कोई आधार है। दरअसल उन्होंने जब इस व्यंग्य के जरिए अपनी बात रखी तो यूपी में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कर्मचारी निजीकरण के मुद्दे पर हड़ताल पर थे। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर सभी निगमों को निजी हाथों में सौंप रही है। लेकिन जिस स्तर पर किसी तरह की खामी है तो उस विषय में सरकार कुछ भी नहीं सोचती है।