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सुप्रीम कोर्ट से कमलनाथ को झटका ! जल्द से जल्द होना चाहिए फ्लोर टेस्ट

Updated Mar 19, 2020 | 12:14 IST

मध्य प्रदेश की सियासी लड़ाई अब कानूनी बन चुकी है। सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डी वाई चंद्रचूण ने कहा कि फ्लोर टेस्ट तो होना ही चाहिए।

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मुख्य बातें
  • मध्य प्रदेश में सियासी संकट जारी, विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक है स्थगित
  • कांग्रेस के 16 बागी विधायक बेंगलुरु में, विधायकों को मनाने में नाकाम रहे दिग्विजय सिंह
  • सीएम कमलनाथ बीजेपी पर बरसे, बोले- यह तो हिटलरशाही है।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा राज्य सरकार में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट होना चाहिये। इसके साथ ही अदालत ने स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया को 6 लोगों का ही इस्तीफा स्वीकार क्यों किया गया। अदालत का मानना है कि फ्लोर टेस्ट किसी सरकार के बने रहने के लिए जरूरी है, लिहाजा कमलनाथ सरकार को सामना करना चाहिये। जस्टिस चंद्रचूण ने कहा कि अदालत का मत है कि हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।

अपील और दलील में  उलझी सियासी लड़ाई
मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट के बारे में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से जबरदस्त दलीलें पेश की गईं। कांग्रेस के वकील ने कहा अगर फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ तो आसमान नहीं टूट पड़ेगा। इन सबके बीच आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। बुधवार को ही बागियों को मनाने के लिए दिग्विजय सिंह बेंगलुरु पहुंचे, बागियों के होटल के सामने धरना दिया, हिरासत में लिए गए, हाईकोर्ट का रुख किए। लेकिन उन्हें झटका लगा। यहां बता दें कि बागियों ने साफ तौर पर कहा कि वो दिग्विजय सिंह से नहीं मिलना चाहते हैं।

धरना दांव नहीं आया काम
बेंगलुरु में बुधवार को दिन भर राजनीतिक ड्रामा जारी रहा तो सुप्रीम कोर्ट में भी कांग्रेस और बीजेपी की तरफ से दलीलें दी गईं। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए कहा कि संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। एक तरफ कांग्रेस के विधायकों को जबरिया कैद किया गया है तो बीजेपी की तरफ से कहा गया कि विधायक बच्चे नहीं हैं। जब वो कह रहे हैं कि वो अपनी मर्जी से बेंगलुरु में रुके हुए हैं तो कांग्रेस को आपत्ति किस बात की है। 

फ्लोर टेस्ट पर किचकिच
इसके साथ ही मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन और विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति के बीच भी लेटर वॉर सामने आया। गवर्नर ने पूछा था कि स्पीकर किस कानून के तहत यह बता रहे हैं कि वो अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभा सकते हैं। बता दें कि राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ से कहा था कि वो 16 मार्च को ही विश्वासमत हासिल करें। हालांकि ऐसा जब नहीं हुआ तो दूसरी बार यानि 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया था। 

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