- 288 विधान सभा सीटों वाले महाराष्ट्र में शिवसेना के 56 , एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं।
- राज्य सभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में अपने अनदेखी से नाराज शिंदे ने 20 से ज्यादा विधायकों के साथ सूरत में डेरा डाल दिया है।
- अगर शिंदे और बागी विधायक वापस नहीं लौटते हैं तो उद्धव सरकार का गिरना तय है।
Maharashtra Political Crisis: क्या महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackarey) गिर जाएगी ? इस वक्त महाराष्ट्र की राजनीति का यही सबसे बड़ा सवाल है। और यह संकट महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार के सहयोगी एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) के तरफ से नहीं खड़ा हुआ है। बल्कि उद्धव ठाकरे के बेहद करीबी और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) इसके सूत्रधार हैं। बताया जा रहा राज्य सभा चुनाव और विधान परिषद चुनाव में अपने अनदेखी से नाराज शिंदे ने 20 से ज्यादा विधायकों के साथ सूरत में डेरा डाल दिया है।और वह भाजपा के संपर्क में भी हैं।
शिंदे ने ऐसे समय में उद्धव सरकार को झटका दिया है, जब एनसीपी प्रमुख और महाविकास अघाड़ी सरकार के संकटमोचक शरद पवार राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनने के लिए आज विपक्षी दलों के साथ बैठक करने वाले हैं। शिंदे का सियासी चाल एक बार फिर नवंबर 2019 की याद दिला रही है, जब एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने रातों-रात भाजपा के साथ मिलाकर सरकार बनाई थी। हालांकि बाद में वह शरद पवार के पाले में चले गए और महाविकास अघाड़ी सरकार में उप मुख्यमंत्री बनें।
बागी वापस नहीं लौटे तो गिर जाएगी उद्धव सरकार !
शिवसेना के बागी विधायकों पर राज्यसभा सांसद और शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि महाराष्ट्र में कोई भूकंप नहीं आएगा। कुछ विधायकों को गुमराह किया गया है। सूरत में जो विधायक हैं, उन्हें आने नहीं दिया जा रहा है। राउत ने कहा कि सबकी घेराबंदी कर दी गई है। सभी विधायक आना चाहते हैं और वे हर संघर्ष में शिवसेना के साथ रहे हैं। राउत चाहे जो कहे लेकिन उनका दिल्ली दौरा रद्द होना और शरद पवार का सरकार बचाने के लिए मैदान में उतरना राज्य के सियासी संकट को बखूबी बयां करते हैं। क्योंकि अगर शिंदे के साथ गए बागी विधायक अगर नहीं माने तो उद्धव सरकार का गिरना तय है।
288 विधान सभा सीटों वाले महाराष्ट्र में शिवसेना के 56 , एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। जो महाविकास अघाड़ी सरकार का हिस्सा है। इसके अलावा इसके अलावा सपा के 2, पीजीपी के 2, बीवीए के 3 और 9 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी सरकार को हासिल था। ऐसे में बगावत के पहले फिलहाल उद्धव सरकार के पास 169 विधायकों का समर्थन था। जबिक बहुमत के लिए इस समय 144 विधायकों की जरूरत है। क्योंकि एक विधायक की मौत होने से वह सीट अभी खाली है।
अगर शिंदे और बागी विधायक वापस नहीं लौटते हैं तो उद्धव सरकार का गिरना तय माना जा रहा है। इस समय शिंदे के साथ 20 से ज्यादा विधायक बताए जा रहे हैं। इसके अलावा कांग्रेस के कुछ विधायकों के बागी होने की खबरे हैं। ऐसे में उद्धव सरकार को अल्पमत में लाने के लिए 26 विधायकों के विरोध की जरूरत है। इसमें 13 निर्दलीय विधायक किंग मेकर हो सकते हैं। जिन्हें उद्धव सरकार से लेकर भाजपा अपने पाने में लाने की कोशिशें करेंगी।
राजनीतिक दल | सीटें | बहुमत के लिए जरूरी समर्थन |
भाजपा | 105 | 144 |
एनसीपी | 53 | |
शिवसेना | 56 | |
कांग्रेस | 44 | |
निर्दलीय | 13 |
क्या भाजपा की बन सकती है सरकार
दल बदल कानून के आधार पर अगर शिवसेना के 38 विधायक टूटते हैं तो एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के साथ मिलकर भाजपा के साथ जा सकते हैं। और उन सदस्यों की विधानसभा सदस्यता भी खत्म नहीं होगी। फिलहाल सूत्रों के अनुसार एकनाथ शिंदे के साथ 22 विधायक हैं। ऐसे में सरकार बनाने के लिए 105 विधायकों वाली भाजपा के पास एनडीए दल के 8 विधायकों का समर्थन हासिल है। यानी भाजपा के पास 113 विधायकों का समर्थन है। ऐसे में उसे सरकार बनाने के लिए कम से कम 31 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। जिसमें निर्दलीय और अन्य दल अहम भूमिका निभा सकते हैं। ऐसी खबरे हैं कि भाजपा ने एक नाथ शिंदे को उप मुख्यमंत्री पद का ऑफर दिया है। और पूरे मसले पर बागी विधायक आज प्रेंस कांफ्रेंस भी करने वाले हैं। इसके पहले उद्धव ठाकरे ने भी विधायकों की बैठक बुलाई है। ऐसे में अगर बागी विधायक उद्धव ठाकरे की बैठक में शामिल नहीं होते हैं तो ठाकरे सरकार पर संकट गहरा सकता है।
एमएलसी चुनाव में दिखी खुली बगावत
शिवसेना में बगावत कल हुए MLC चुनाव से साफ तौर पर दिखने लगी थी। महाराष्ट्र की 10 सीटों पर विधान परिषद चुनाव के नतीजे में भाजपा के 5 उम्मीदवार जीत गए। जबकि एनसीपी और शिवसेना के 2-2 उम्मीदवारों को जीत मिली है। वहीं कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली है। शिवसेना से सचिन अहीर और अमाश्या पाडवी ने जीत हासिल की है। वहीं एनसीपी के एकनाथ खडसे और रामराजे निंबालकर चुनाव जीत गए हैं। उधर भाजपा के प्रवीण दरेकर, राम शिंदे, श्रीकांत भारतीय और उमा खपरे ने विधान परिषद का चुनाव जीता है। भाजपा की जीत से साफ था कि दूसरे दलों के नेताओं ने क्रॉस वोटिंग की है। और वह अब बागी विधायकों की लिस्ट से दिखने भी लगी है।
एकनाथ शिंदे के बगावती सुर से हिल गई उद्धव सरकार, कोंकन इलाके में है असर
इसके पहले एनसीपी नेता अजीत पवार ने दिखाए थे बागी तेवर
2019 के विधान सभा चुनाव परिणाम आने के बाद जिस तरह मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भाजपा और शिवसेना गठबंधन टूटा, उसके बाद से ही राज्य की राजनीति में उथल-पुथल शुरू हो गई थी। और 23 नवंबर 2019 को रातों रात एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार के साथ मिलकर, भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बना ली थी। हालांकि बाद में अजीत पवार वापस शरद पवार के साथ चले गए और फिर वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार में उप मुख्यमंत्री बने। अब वैसी ही परिस्थितियां शिंदे ने खड़ी कर दी है। अब देखना है कि इस बार उद्धव ठाकरे अपनी सरकार बचा पाते हैं या नहीं।