- प्रणब भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे
- वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे
- अपने उल्लेखनीय राजनीतिक सफर में उन्होंने और भी कई उपलब्धियाँ हासिल कीं
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को यहां एक सैन्य अस्पताल में निधन हो गया । यह जानकारी उनके पुत्र अभिजीत ने दी।मुखर्जी 84 वर्ष के थे। सेना के एक अस्पताल में यहां मुखर्जी (84) का सोमवार को निधन हो गया। उनके पुत्र अभिजीत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वह 10 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे।
पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी को दिल्ली छावनी स्थित अस्पताल में गत 10 अगस्त को भर्ती कराया गया था और उसी दिन उनके मस्तिष्क में जमे खून के थक्के को हटाने के लिए उनकी सर्जरी की गई थी। मुखर्जी को बाद में फेफड़ों में संक्रमण हो गया। वह 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे।
पांच दशकों तक सार्वजनिक जीवन में रहे मुखर्जी पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। सोमवार शाम उन्होंने राजधानी दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में अंतिम सांस ली। वह 84 वर्ष के थे।
भारतीय राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ रखने वाले प्रणव मुखर्जी को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाएगा, जो देश का प्रधानमंत्री हो सकता था, लेकिन अंतत: उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच कर संपन्न हुआ।
पश्चिम बंगाल में जन्मे इस राजनीतिज्ञ के नाम कई ऐसी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं जो उन्हें दूसरों से अलग बनाती हैं। वह चलते फिरते ‘इनसाइक्लोपीडिया’ थे और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था।साल 1982 में वे भारत के सबसे युवा वित्त मंत्री बने। तब वह 47 साल के थे। आगे चलकर उन्होंने विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त व वाणिज्य मंत्री के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। वे भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो इतने पदों को सुशोभित करते हुए इस शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंचे।उन्होंने इंदिरा गांधी, पी वी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह जैसे प्रधान मंत्रियों के साथ काम किया। यही वजह थी कि दशक दर दशक वे कांग्रेस के सबसे विश्वसनीय चेहरे के रूप में उभरते चले गए।