प्रशांत किशोर को आधुनिक चाणक्य कहा जाता है। उनके बारे में धारणा है कि वो जिस दल से भी जुड़े रहे उसकी जीत हुई। एक कार्यक्रम में उन्होंने अपनी कामयाबी का बखान करते हुए साफतौर पर कहा कि अब वो कांग्रेस के साथ काम नहीं करेंगे। लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। उन्होंने तीखा हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि हम नहीं सुधरेंगे। हम तो डूबोंगे ही दूसरों को भी डूबा देंगे। अब ऐसी सूरत में कांग्रेस के साथ कौन काम करना चाहेगा।
11 साल में सिर्फ एक चुनाव हारा
प्रशांत किशोर ने कहा कि 2010 से लेकर 2021 तक कुल 11 चुनावों में वो जुड़े रहे हैं। लेकिन सिर्फ चुनाव 2017 का था जिसे हार गए। अब उस नतीजे के बाद से उन्होंने फैसला किया कि अब कांग्रेस के साथ काम नहीं करने वाले हैं। हालांकि कयास लगाए जा रहे थे कि पीके कांग्रेस का हिस्सा होंगे। लेकिन उनकी कुछ शर्ते ऐसी थीं कि जिसे कांग्रेस नेतृत्व ने स्वीकार नहीं किया और उसके बाद दोनों की राह अलग हो गई।
जनता के मिजाज को समझने में कांग्रेस नाकाम
प्रशांत किशोर ने कहा कि वो यह नहीं कहेंगे कि कांग्रेस पार्टी खराब है। लेकिन वो दल अपनी गल्तियों से सीखने के लिए तैयार नहीं है। और ऐसी सूरत में आप बेहतरी की उम्मीद नहीं कर सकते हैं। आप को जनता के मूड को समझना होगा, जमीन पर उतरना होगा। आप जिस मुद्दे की बात कर रहे हैं उससे जनता का संदेश जाना चाहिए कि विरोध करने वाला दल वास्तव में गंभीर है। लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस पार्टी संदेश देने में नाकाम रही है।