बिहार के सीएम नीतीश कुमार तीन दिन तक दिल्ली दौरे पर थे। उस दौरे में उन्होंने तकरीबन विपक्ष के सभी नेताओं से बातचीत की। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो पीएम पद की दावेदारी के बारे में सोचते हैं तो उनका जवाब था कि ना कोई वजह है औ ना ही कोई लालसा। इसके साथ यह भी कहा कि भारत की राजनीति में अब थर्ड फ्रंट की जगह मेन फ्रंट बोला जाना चाहिए। इन सबके बीच नीतीश कुमार के चुनावी सलाहकार रहे प्रशांत किशोर ने बिहार की हालात का जिक्र किया तो निशाना साधते हुए कहा कि आखिर प्रशांत किशोर 2005 से पहले बिहार को लेकर कितना जानते थे।
बीजेपी की मदद करना चाहते हैं प्रशांत किशोर
नीतीश कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर भाजपा की मदद करना चाहते हैं। उन्होंने मेरी बात नहीं मानी और कई पार्टियों के लिए काम किया। वो उसका धंधा है।वह बिहार में जो करना चाहते हैं उसे करने दें। उनके बयानों का कोई मतलब नहीं है। क्या उन्हें पता है कि 2005 के बाद से राज्य में क्या किया गया है? हां, ये लोग जानते हैं कि प्रचार कैसे करना है, बयान देना है। वे इसमें माहिर हैं और बताते रहते हैं. अगर कोई इस तरह की बात कर रहा है तो समझने की कोशिश करें, उसके दिमाग में जरूर कुछ रहा होगा। यह भाजपा के साथ रहना या गुप्त तरीके से भाजपा की मदद करना हो सकता है।
प्रशांत किशोर का जेडीयू-बीजेपी पर तंज, कहा- आपसी तनातनी का खामियाजा भुगत रही है बिहार की जनता
नीतीश कुमार पर पीके ने कसा था तंज
नीतीश कुमार ने सरकार बनाने के लिए फिर से राजद के साथ हाथ मिलाने के लिए पिछले महीने भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया।किशोर ने एक ट्वीट में कुमार पर कटाक्ष किया था और कहा था कि पिछले 10 वर्षों में राज्य में सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार द्वारा छठा प्रयोग है और लोगों के विचार पूछे।किशोर ने यह भी उम्मीद की थी कि नीतीश कुमार के एनडीए गठबंधन से बाहर निकलने और राजद और अन्य विपक्षी दलों के साथ नई सरकार बनाने के साथ, बिहार के मुख्यमंत्री गठबंधन पर अडिग रहेंगे और राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे।
प्रशांत किशोर ने कहा था कि वो देख रहे हैं कि बिहार में राजनीतिक अस्थिरता के युग के संदर्भ में अब क्या हो रहा है। 2013-14 के बाद से बिहार में सरकार बनाने का यह छठा प्रयास है। जब किसी की राजनीतिक या प्रशासनिक अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं, तो फॉर्मेशन बदल जाते हैं। राज्य में पिछले 10 वर्षों से "राजनीतिक अस्थिरता" का युग चल रहा है और नीतीश कुमार इस सब में एकमात्र स्थिर बने हुए हैं जो स्थिति के मुख्य अभिनेता और उत्प्रेरक हैं। उम्मीद है कि अब बिहार में राजनीतिक स्थिरता लौट आएगी।