- PK कांग्रेस को हिंदुत्व, अति राष्ट्रवाद और कल्याणकारी योजनाओं के फ्रंट पर भाजपा के मुकाबले खड़ा कर पाएंगे।
- प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री से गांधी परिवार G-23 नेताओं का मुंह बंद कर सकता है।
- कांग्रेस के पास अभी भी 20 फीसदी वोट है, जो किसी और विपक्षी दल के पास नही है।
Prashant Kishore Congress Revival Plan: लगातार हार से परेशान कांग्रेस को अब प्रशांत किशोर (PK) का सहारा दिख रहा है। उसे लगता है कि एक बार पीके पार्टी में शामिल हो गए तो पार्टी की नैया पार लग जाएगी और उसके अच्छे दिन लौट आएंगे। प्रशांत किशोर की पार्टी में एंट्री के लिए भी गांधी परिवार बड़े प्लान की तैयारी में हैं। इसके लिए सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी की प्रशांत किशोर से लगातार मीटिंग हो रही है। कोशिश यही है कि पिछली बार सितंबर जैसी गलती नहीं हो, जब प्रशांत किशोर की पार्टी में एंट्री होते-होते रह गई थी। इसलिए सोनिया गांधी ने प्रशांत किशोर के प्लान पर फैसला लेने के लिए एक छोटी समिति बना दी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सबसे बुरी दौर से गुजर रही कांग्रेस, प्रशांत किशोर के सहारे मोदी मैजिक खत्म कर पाएगी।
इन तीन मैजिक का PK निकाल पाएंगे तोड़
कई इंटरव्यू में प्रशांत किशोर यह बात साफ तौर पर कह चुके हैं कि भाजपा तीन वजहों से जीत रही है। पहली वजह हिंदुत्व है, दूसरी वजह अति राष्ट्रवाद और तीसरी प्रमुख वजह कल्याणकारी योजनाएं हैं। अब सवाल उठता है कि प्रशांत किशोर इन 3 मैजिक का क्या तोड़ निकालेंगे। और अपने प्लान में वह किस तरह कांग्रेस को हिंदुत्व, अति राष्ट्रवाद और कल्याणकारी योजनाओं के फ्रंट पर भाजपा के मुकाबले खड़ा करेंगे। सूत्रों के अनुसार प्रशांत किशोर ने जो प्लान सौंपा है उसमें उनका सबसे ज्यादा जोर कम्युनिकेशन और पार्टी में संगठनात्मक बदलाव पर है। प्रशांत किशोर अच्छी तरह जानते हैं कि भाजपा को हराने के लिए जब तक तेज-तर्रार और जोश से भरे कार्यकर्ता नहीं होंगे और भाजपा से बेहतर कम्युनिकेशन स्किल नहीं होगी, तब तक भाजपा को हराना मुश्किल है। आने वाले दिनों में यही देखना है कि पीके हिंदुत्व,अति राष्ट्रवाद और कल्याणकारी योजनाओं के मुकाबले क्या रणनीति लेकर आते हैं।
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असंतुष्टों का तोड़ हैं PK !
प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री से गांधी परिवार एक और निशाना साध रहा है। इसके तहत वह उन असंतुष्ट नेताओं (G-23) को चुप कराना चाहता है, जो कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की मांग कर रहे हैं और गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। प्रशांत किशोर की चूंकि चुनावी रणनीतिकार के रूप में अपनी साख है, ऐसे में असंतुष्ट गुट उनके प्लान पर सवाल नहीं उठा पाएगा। साथ ही असंतुष्ट गुट में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को छोड़कर किसी नेता का कोई बड़ा जनाधार नहीं है। ऐसे में वह ज्यादा कुछ नुकसान भी नहीं पहुंचा पाएंगे। इसी रणनीति पर राहुल गांधी खुद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलकर अपने पाले में लाने की कवायद में हैं। ऐसे में प्रशांत किशोर की एंट्री गांधी परिवार के ऊपर हो रहे हमले को भी कम कर सकती हैं। इसके अलावा कांग्रेस से नेताओं के जाने का सिलसिला भी थम सकता है।
कांग्रेस की इस खासियत पर PK को भरोसा
असल में कांग्रेस लगातार हार के बावजूद अभी अच्छा खासा वोट बैंक रखती है। 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखा जाय तो कांग्रेस के पास अभी भी 20 फीसदी वोट है। चाहे ममता बनर्जी हो , केजरीवाल या कोई दूसरा विपक्ष का नेता, उनके पास इतना वोट बैंक नहीं है। दूसरे देश में अभी भी 200 से ज्यादा लोकसभा सीटें हैं, जहां पर भाजपा की सीधी टक्कर कांग्रेस से है। ऐसे में पीके इसी आधार को देखते हुए कांग्रेस पर दांव लगा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हें लगता है कि कांग्रेस अगर 2024 के चुनावों में 150 सीटों के करीब पहुंचती है तो भाजपा को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है।