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President Election:फिर विपक्ष की एकता में दरार, इन 3 संकेतों से समझिए कैसे NDA उम्मीदवार की राह आसान

Updated Jun 16, 2022 | 13:02 IST

President Election: ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई बैठक से बीजू जनता दल ,अकाली दल, आम आदमी पार्टी और टीआरएस ने बैठक से किनारा कर लिया। वहीं एनसीपी नेता शरद पवार ने राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने से इंकार कर दिया है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
मुख्य बातें
  • राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के 543, राज्य सभा के 233 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेंगे।
  • चुनाव के लिए 10.86 लाख से ज्यादा वोट वैल्यू होगी। इसमें से बहुमत के लिए करीब 5.43 लाख से ज्यादा वोटों की जरूरत पड़ेगी।
  • बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस के एनडीए के साथ जाने की संभावना।

President Election: एक और चुनाव की दस्तक और फिर से मोदी सरकार (Modi Government) के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कवायद तेज हो गई है। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की यह कवायद पहले कदम से ही लड़खड़ाती नजर आ रही है। इसकी वजह यह है कि सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) द्वारा बुलाई गई बैठक से बीजू जनता दल (BJP), अकाली दल, आम आदमी पार्टी (AAP) और टीआरएस (TRS) ने बैठक से किनारा कर लिया। वहीं दूसरी तरफ एनसीपी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) ने भी ममता बनर्जी के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया कि जिसमें वह पवार को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति (President Election) पद का उम्मीदवार बनाना चाहती थी। ऐसे में पहले ही वोटो की संख्या के आधार पर बहुमत के करीब NDA के लिए बड़ी चुनौती पेश करना मुश्किल नजर आ रहा है। 

पहली मीटिंग के क्या है संकेत

15 जून को दिल्ली में बुलाई गई मीटिंग को लेकर सबसे पहले सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने सवाल उठाए। रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने ममता बनर्जी को लेटर लिख कर , मीटिंग बुलाने के तरीके पर सवाल उठाए। अन्य दलों का आरोप है कि ममता बनर्जी ने दूसरे दलों से सलाह किए बिना ही मीटिंग बुलाई। 

दूसरा सबसे बड़ा संकेत यह है कि इस मीटिंग से बीजू जनता दल,  टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस,अकाली दल, आम आदमी पार्टी दलों ने किनारा कर लिया है। अहम बात यह है कि इन दलों में से अगर उसे बीजू जनता दल , वाईएसआर कांग्रेस में से किसी एक का भी साथ मिल गया तो भाजपा के नेतृत्व वाले ए़नडीए के उम्मीदवार की जीत पक्की हो जाएगी।

मीटिंग का तीसरा और सबसे अहम संकेत शरद पवार का राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने से इंकार करना है। पवार विपक्ष के इकलौते ऐसे नेता हैं, जिनके नाम पर विपक्ष एक जुट हो सकता था। क्योंकि तीसरे मोर्चे की कवायद करने वाली ममता बनर्जी हो  या फिर टीआरएस नेता चंद्रशेखर राव, सभी को पवार को आशीर्वाद चाहिए। लेकिन पवार के इंकार से साफ है कि वह वोटों का गणित अच्छी तरह से समझ रहे हैं।

किसके पास कितने वोट

राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA बहुमत के बेहद करीब है। उसे बहुमत पाने के लिए केवल 12-13 हजार वोटों की दरकार है। ऐसे में अगर जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक में से किसी एक का भी साथ भाजपा को मिल जाता है। तो वह आसानी से बहुमत जुटा लेगी। अहम बात यह है कि 2017 के राष्ट्रपति  पद के  चुनावों के लिए भी इन दोनों का समर्थन एनडीए को मिला था। पुराने सहयोग को देखते हुए इस बार भी भाजपा के वरिष्ठ नेता, जगन मोहन रेड्डी और नवीन पटनायक को अपने पक्ष में करने की कवायदें शुरू कर चुके हैं।

इस बार के चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज में 4809 सदस्य शामिल है। इनमें लोकसभा के 543, राज्य सभा के 233 और विधानसभाओं के 4033 सदस्य वोटिंग प्रक्रिया में भाग लेंगे। इसके आधार पर चुनाव के लिए 10.86 लाख से ज्यादा वोट वैल्यू होगी। इसमें से बहुमत के लिए करीब 5.43 लाख से ज्यादा वोटों की जरूरत पड़ेगी। और एनडीए के पास करीब 48 फीसदी वोट हैं। वहीं यूपीए और अन्य दलों के पास 52 फीसदी वोट हैं। लेकिन अगर अन्य दलों के वोट को देखा जाय तो वह यूपीए से भी ज्यादा है। उसके पास शेष 52 फीसदी वोट में से 50 फीसदी से ज्यादा वोट है। और यही कारण है कि विपक्षी एकजुटता मुश्किल दिखाई दे रही  है।

भाजपा के लिए 2017 जैसे हालात नहीं है

अगर 2017 के राष्ट्रपति चुनाव से तुलना की जाय तो 2022 के हालात भाजपा के लिए अलग हैं। उस समय भाजपा के पास यूपी में आज की तुलना में ज्यादा विधायक थे। इसी तरह राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार थी। इसके अलावा शिवसेना और अकाली दल भी उनके साथ थी। लेकिन अगर लोक सभा की स्थिति देखी जाय तो भाजपा 2019 में पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर भारत और उड़ीसा में मजबूत हुई है। इसके अलावा अगर पुराना रिकॉर्ड देखा जाय तो नवीन पटनायक के नेतृत्व वाला बीजू जनता दल, भाजपा का भरोसेमंद समर्थक रहा है। इसी तरह वाईएसआर कांग्रेस भी जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व में ए़नडीए की ओर ज्यादा झुका दिखाई देता है। इसके अलावा 15  जून की बैठक में बसपा और टीडीपी को आमंत्रित नहीं किया जाना भी कई संभावनाओं को पैदा करता है।

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पिछली बार मीरा कुमार, इस बार मानेंगी ममता !

2017 के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के खिलाफ यूपीए उम्मीदवार कांग्रेस नेता मीरा कुमार थी। लेकिन उन चुनावों में विपक्ष की एकता नजर नहीं आई थी। और मीरा कुमार, रामनाथ कोविंद से 3 लाख से ज्यादा वोट से हार गईं थीं। 2022 के समीकरण को देखते हुए ऐसी संभावना बेहद कम है कि विपक्ष का उम्मीदवार कांग्रेस का कोई नेता हो। क्योंकि 15 जून की बैठक में शरद पवार के इंकार के बाद नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) और गोपाल कृष्ण गांधी (Gopal Krishna Gandhi) के नाम का प्रस्ताव पेश किया है।
 

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