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Presidential Election 2022 in India : राष्ट्रपति चुनाव के वो उम्मीदवार जिसके बारे में किसी को पता नहीं !

मनीष चौधरी | Deputy News Editor
Updated Jun 10, 2022 | 12:38 IST

Presidential Election 2022 in India : राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान हो चुका है और सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा ? इसे लेकर कई नाम चर्चा में है। आइए इसे लेकर विस्तार से जानते हैं।

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राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान हो चुका है और सबसे बड़ा सवाल ये है कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा ?

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान हो चुका है और सबसे बड़ा सवाल ये है कि देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा ? क्या राष्ट्रपति का चुनाव सर्वसम्मति से होगा ? मौजूदा राजनीतिक हालात में तो ये संभव नहीं दिखता है । तो क्या एनडीए अपना उम्मीदवार देगी और यूपीए अपना उम्मीदवार ?  क्या तीसरा मोर्चा भी राष्ट्रपति पद के लिए अपना अलग से उम्मीदवार देगा ? इन सारे सवालों पर मीडिया में खूब चर्चा हो ही है लेकिन सबकी नजरें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर टिकी हैं । इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि बीजेपी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, ज्यादातर राज्यों में उसकी सरकार है और वो अपने उम्मीदवार को बड़े आराम से राष्ट्रपति बनवा सकती है । लेकिन क्या राष्ट्रपति पद के लिए उन्हीं नेताओं में कोई उम्मीदवार होगा जिन्हें मीडिया अपने कयासों के जरिए बार-बार दोहरा रहा है या फिर 2017 की तरह कोई ऐसा नाम होगा, जिसके बारे में किसी को अंदाजा नहीं है ।

2014 से लेकर 2022 में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राजनीति समझने वालों को ये तो पता है कि जिनका नाम उनके कयासों में है, कम से कम वो तो राष्ट्रपति के उम्मीदार नहीं बनने जा रहे हैं । बीजेपी में ना सूत्रों से खबर आती है और ना ऐसी खबरें लीक होती हैं जिसे कुछ पता चल पाए। यहां तक की मुख्यमंत्री हटाए भी जाते हैं, पूरा मंत्रिमंडल इस्तीफा दे देता है और नए नाम तय भी कर लिए जाते हैं पर मीडिया को तब तक पता नहीं चलता है, जब तक खुद पार्टी ये ऐलान ना कर दे । इसलिए राष्ट्रपति का उम्मीदवार कौन होगा ये तभी पता चल पाएगा जब बीजेपी खुद इनके नाम का ऐलान कर देगी ।

राष्ट्रपति चुनाव में 'सबका साथ-सबका विकास' वाला समीकरण

राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन हो सकता है ? ये जानने से पहले, ये समझने होगा कि बीजेपी राष्ट्रपति चुनाव में किस समीकरण के साथ उतरेगी ? 2017 में बीजेपी ने उत्तर भारत में अनुसूचित जाति से आने वाले नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया था जबकि दक्षिण भारत से सामान्य वर्ग के वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति बनाए गए। इन दो फैसलों से बीजेपी ने उत्तर-दक्षिण की राजनीति के साथ, जाति समीकरण को भी बड़े अच्छे तरीके से साध लिया था । बावजूद इसके बीजेपी पर धार्मिक संतुलन कायम नहीं रख पाने का आरोप लगा ।

राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान और देश के राजनीतिक हालात !

जिस वक्त राष्ट्रपति चुनाव का ऐलान हुआ है उस वक्त देश में धर्म की राजनीति और हेट स्पीच की खूब चर्चा हो रही है । हेट स्पीच के खिलाफ सरकार एक्शन ले रही है तो विपक्ष सरकार पर हमलावर है। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर आरोप लग रहे हैं कि उसने पूरी दुनिया में भारत की बदनामी कराई है । हांलाकि ये भी सच है कि सरकार की कूटनीतिक प्रयासों की वजह हालात को वक्त रहते संभाल लिया गया । एक विवादित बयान पर जिस तरह से मुस्लिम देशों में भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश हुई थी वो नाकाम हो गई । 2017 में राष्ट्रपति चुनाव से पहले दलित राजनीति हो रही थी । दलितों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश हो रही थी और तभी बीजेपी ने एक अनुसूचित जाति के राजनेता को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था । इसलिए इस बार कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी मुस्लिम समुदाय से किसी नेता को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है ।  

राष्ट्रपति उम्मीदवारों के लिए किन नामों पर चर्चा ?

आरिफ मोहम्मद खान

राष्ट्रपति चुनाव के ऐलान के बाद सोशल मीडिया पर कयासों का दौर शुरू हो गया। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ट्विटर पर ट्रेंड करने लगे । कई एक्सपर्ट, राजनीतिक जानकार और पत्रकार इस बात की संभावना जता रहे हैं कि आरिफ मोहम्मद खान राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं। उनका दावा है कि आरिफ मोहम्मद खान प्रोग्रेसिव मुस्लिम हैं और बीजेपी उन्हें राष्ट्रपति बनाकर देश और दुनिया के मुसलमानों को बड़ा संदेश दे सकती है । 2002 में उस वक्त के वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम के जरिए बीजेपी ने ऐसा ही कुछ संदेश देने की कोशिश की थी।

मुख्तार अब्बास नकवी

दूसरे नंबर पर मुख्तार अब्बास नकवी के नाम की खूब चर्चा है । मुख्तार अब्बास नकवी बीजेपी के पुराने नेता हैं, केंद्र सरकार में मंत्री हैं । जुलाई में राज्यसभा से रिटायर हो रहे हैं, रिटायरमेंट के बाद मंत्री की कुर्सी चली जाएगी । जानकारों का कहना है कि उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदावर बनाया जा सकता है और यही वजह है कि उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया । मुख्तार अब्बास नकवी भी प्रोग्रेसिव मुस्लिम हैं और बीजेपी की आइडयोलॉजी में फिट बैठते हैं ।

द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति पद के लिए आदिवासी महिला नेता और पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम की चर्चा भी जोरों पर है । लोकसभा में 47 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जबकि 50 से ज्यादा सीटों पर इनका गहरा असर है । बीजेपी देश को पहला आदिवासी राष्ट्रपति देकर आदिवासी समुदाय के लोगों को बड़ा संदेश दे सकती है । राजनीत तौर पर बीजेपी को इससे बड़ा फायदा हो सकता है । खास तौर पर झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में ये एक सफल राजनीतिक प्रयोग होगा ।  

रजनीकांत
     
अगला नाम दक्षिण भारत से अभिनेता रजनीकांत का है। रजनीकांत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अच्छे मित्र हैं । बीजेपी के करीबी माने जाते हैं । दक्षिण भारत में उनकी बड़ी इज्जत और मशूहरियत है । बीजेपी लंबे समय से ये कोशिश कर रही है कि वो दक्षिण भारत में, खास तौर पर तमिलनाडु और केरल में अपनी पैर जमा ले, लेकिन अब तक ऐसा संभव नहीं हो पाया । इसलिए जानकार मानते हैं कि अगर रजनीकांत के जरिए बीजेपी ये प्रयोग करे तो 2024 में उसे दक्षिण भारत में कुछ सफलता मिल सकती है ।

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