- कांग्रेस ने यूपी चुनावों में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने का ऐलान किया है।
- छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी देने का भी वादा किया गया है।
- कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती उसका कमजोर संगठन है। पार्टी के कई नेता चुनावों से पहले उसका साथ छोड़ चुके हैं।
नई दिल्ली: प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस यूपी में हर, वह दांव अपना रही है, जिसके जरिए वह सत्ता में वापसी की संभावनाएं मजबूत कर सकती है। पहले महिलाओ को 40 फीसदी टिकट का दांव और अब 'प्रतिज्ञा' के जरिए 20 लाख सरकारी नौकरी, छात्राओं को स्मार्टफोन और स्कूटी देने का वादा। साफ है कि कांग्रेस का सबसे ज्यादा प्रदेश की करीब 50 फीसदी महिला आबादी को अपने पाले में लाने पर जोर है। प्रियंका वहीं रणनीति अपना रही हैं, जिसके जरिए नीतीश कुमार से लेकर ममता बनर्जी सफलता हासिल कर चुके हैं।
प्रियंका के क्या हैं वादे
कांग्रेस ने 23 अक्टूबर को अपनी 'प्रतिज्ञा' का ऐलान किया। इसके तहत पार्टी ने 7 वादे किए हैं। जिसमें पार्टी 40 फीसदी महिलाओं को चुनावों में टिकट देगी। इसके अलावा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने पर 20 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी जाएगी। लड़कियों को स्मार्टफोन और स्कूटी देने का वादा किया है। साथ ही बिजली बिल सबका आधा कर दिया जाएगा और कोरोना काल के बकाए को भी माफ कर दिया जाएगा। इसके साथ ही किसानों का पूरा कर्ज माफ और कोरोना से पीड़ित परिवार को 25 हजार की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
ममता-नीतीश हो चुके हैं सफल
महिला आबादी को लुभाकर सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सफल रहे हैं। नीतीश कुमार ने पंचायत और नगर निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया। इसी तरह शिक्षकों की नियुक्ति में भी महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया। ऐसे ही नीतीश कुमार का लड़कियों को साइकिल मुफ्त में देने का फैसला भी उनके लिए मजबूत वोट बैंक बन गया। इसी का फायदा नीतीश कुमार साल 2000 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से उठा रहे हैं। 2020 में वह सातवीं बार मुख्यमंत्री बने। इसी तरह ममता बनर्जी की सत्ता में तीसरी बार वापसी में महिलाओं की प्रमुख भूमिका रही है। ममता द्वारा शुरू की गई राज्य श्री और कन्या श्री योजनाओं से महिलाओं में उनकी लगातार पैठ बढ़ती गई।
कमजोर संगठन से राह आसान नहीं
हाथरस बलात्कार मामले और लखीमुपर खीरी हिंसा के समय जिस तर प्रियंका गांधी ने सक्रियता दिखाई। उससे, वह प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन पार्टी का कमजोर संगठन सबसे बड़ी चुनौती है। इसके अलावा प्रियंका गांधी की कोशिशों के बावजूद जितिन प्रसाद से लेकर राजेश पति त्रिपाठी और ललितेश पति त्रिपाठी, हरेंद्र मलिक जैसे नेता पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। ऐसे में प्रियंका के लिए कांग्रेस को 7 सीटों से तीन अंकों में भी पहुंचान इतना आसान नहीं है। खास तौर से जब, उसे भाजपा को चुनौती देने के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से आगे निकलना है।