तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में 8 दिसंबर को हुए हेलिकॉप्टर क्रैश के कारणों की जांच के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित कमेटी अगले दो सप्ताह के भीतर अपनी कार्यवाही पूरी कर सकती है। सरकार के सूत्रों से ये जानकारी मिली है। इस हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत समेत 13 अन्य मारे गए थे। जांच का नेतृत्व भारतीय वायु सेना (IAF) के एक अधिकारी और देश के सर्वश्रेष्ठ हेलिकॉप्टर पायलट एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह और भारतीय सेना और भारतीय नौसेना के एक-एक ब्रिगेडियर रैंक के अधिकारी कर रहे हैं।
न्यूज ANI के अनुसार, शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि जांच दल द्वारा गवाहों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं जिसमें दुर्घटनास्थल के पास जमीन पर मौजूद लोग शामिल हैं। टीम के अगले दो सप्ताह में अपनी कार्यवाही पूरी करने की उम्मीद है। घटना के अगले ही दिन जांच टीमों ने अपना काम शुरू कर दिया था।
8 दिसंबर को जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 12 अन्य सैन्य अधिकारी MI-17V5 हेलिकॉप्टर में यात्रा कर रहे थे, जो वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में उतरने से कुछ मिनट पहले दुर्घटनाग्रस्त हो गया। Mi-17V5 ने सुलूर एयरबेस से उड़ान भरी थी और लगभग 30 मिनट की छोटी यात्रा के बाद इसे उतरना था। दुर्घटनास्थल के पास के गांवों के स्थानीय लोग तुरंत मौके पर पहुंचे और पीड़ितों को वहां से निकालने में मदद की।
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भारतीय वायु सेना ने कुछ दिन पहले स्थानीय ग्रामीणों को उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए कंबल और चादरें वितरित कीं क्योंकि उन्होंने शवों को ले जाने और विमान में आग बुझाने के लिए अपने स्वयं के कंबल और चादर का इस्तेमाल किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व्यक्तिगत रूप से जांच प्रक्रिया की निगरानी कर रहे हैं और संबंधित अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से अपडेट किया जा रहा है। भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी कार्यवाही की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं। सेना मुख्यालय को जांच के नतीजे का बेसब्री से इंतजार है क्योंकि फोर्स ने अपने सबसे वरिष्ठ अधिकारी और देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सहित 13 अन्य लोगों को खो दिया है।