- भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखा है।
- भारत और ईरान के बीच 2021-22 में करीब 1.9 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था।
- ईरान पर 2019 में प्रतिबंध लगने से पहले भारत चीन के बाद सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक था।
Iran Foreign Minister Visit: पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी विवाद के बीच, मुस्लिम देश ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान आज 4 दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं। ईरान के विदेश मंत्री के दौरे के अहमियत इसलिए बढ़ गई है क्योंकि ईरान उन मुस्लिम देशों में से एक है, जिसने भाजपा के पूर्व प्रवक्ता के पैंगबर मुहम्मद के बयान पर आपत्ति जताई थी। और इसके लिए ईरान ने बकायदा भारत के राजदूत को तलब कर आपत्ति दर्ज की थी। ऐसे में देखना होगा कि इस दौरे पर हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान का क्या रूख रहता है। भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। इस दौरे पर दोनों देशों के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच तेल खरीद से लेकर चाबहार बंदरगाह और अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर भी अहम बातचीत हो सकती है।
क्या भारत ईरान से खरीदेगा तेल
इस बैठक पर सबसे ज्यादा नजर इस बात पर रहेगी कि क्या भारत और ईरान के बीच कच्चे तेल के खरीद को लेकर कोई समझौता होता है या नहीं। क्योंकि रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद जिस तरह दुनिया में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ी हैं। ऐसे में भारत के लिए ईरान एक बार फिर सप्लायर बन सकता है। हालांकि अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से, यह आसान नहीं दिख रहा है। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में न केवल भारत को सस्ते तेल की जरूरत है बल्कि ईरान को भी दूसरे मार्केट की तलाश है। ऐसे में देखना होगा कि विदेश मंत्री एस.जयशंकर के साथ मीटिंग में इस मुद्दे पर कोई सहमति बनती है या नहीं।
हाल ही में विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने जिस तरह Globsec 2022 में वैश्विक स्त पर तेल के संकट और रूस से भारत के तेल खरीदने को लेकर अपना पक्ष रखा है। उससे साफ है कि भारत अपनी जरूरतों को तरजीह देगा। उन्होंने कहा कि रूस से तेल खरीदकर कर क्या केवल भारत फंडिग कर रहा है। क्या यूरोप रूस से गैस नहीं खरीद रहा है, तो क्या यूरोप रूस को नहीं फंडिग कर रहा है।
भारत ने पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। ऐसे में विदेश मंत्री एस.जयशंकर और हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान के बैठक में कच्चे तेल के फैसले पर नजर रहेगी। वैसे ईरान पर 2019 में प्रतिबंध लगने से पहले भारत चीन के बाद सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक था। इस बीच ईरान ने 10 लाख बैरल प्रति दिन तक उत्पादन बढ़ाया है। और भारत के साथ वह रूपया-रियाल में व्यापार भी करने को तैयार हो सकता है। जो भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
चाबहार बंदरगाह और अफगानिस्तान पर भी चर्चा
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत और ईरान के बीच 2021-22 में करीब 1.9 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार हुआ था। इसमें भारत ने करीब 1.45 अरब डॉलर का निर्यात किया था। जबकि 463.38 अरब डॉलर का आयात किया था। भारत ईरान को प्रमुख रूप से बासमती चावल, चीनी, चाय, दवाइयां, मशीनरी, ज्वैलरी और ताजे फल निर्यात करता है। जबकि ईरान से सूखे फल, चमड़ा, स्टोन आदि का आयात किया जाता है।
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भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल और उसके तालिबान से सुरक्षा को लेकर भी अहम चर्चा हो सकती है। इसके तहत चाबहार बंदरगाह के जरिए यूरोप और एशियाई देशों में व्यापार बढ़ाने पर चर्चा होने की संभावना है। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता के बाद की स्थिति और चुनौतियों पर भी दोनों देश बात कर सकते हैं।