- सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर देश मिलकर गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) बनाते हैं।
- 88 लाख भारतीय खाड़ी देशों रहते हैं। और करीब 50 अरब डॉलर हर साल अपने परिवार को भेजते हैं।
- खाड़ी देशों से भारत अपने ईंधन जरूरतों के लिए सबसे ज्यादा निर्भर है।
Prophet Muhammad Comment Row: आज से सात साल पहले (2015) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) जब अबूधाबी स्थित शेख जायद मस्जिद पहुंचे थे तो उनका संदेश साफ था कि वह खाड़ी देशों के साथ, भारत के रिश्तों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना चाहते थे। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद से शुरू हुई कवायद का असर भी इन वर्षों में दिखा है। चाहे जम्मू और कश्मीर से धारा 370 (Article 370) हटाने का कदम हो या फिर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का मामला हो, पाकिस्तान (Pakistan) की लाख कोशिशों के बावजूद, सउदी अरब से लेकर दूसरे खाड़ी देशों ने भारत का समर्थन किया। और मजबूत होते रिश्तों का ही प्रतीक है कि यूएई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, 'ऑर्डर ऑफ जायद' से सम्मानित किया है।
लेकिन पिछले 7 साल का कवायद पर भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा और नवीन जिंदल की पैगंबर मुहम्मद साहब पर की गई कथित टिप्पणी भारी पड़ती दिख रही है। और एक के बाद दूसरे मुस्लिम देश भाजपा प्रवक्ताओं के बयान पर भारत सरकार पर निशाना साध रहे हैं। और यह साफ दिख रहा है कि भारत सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। और इसी दबाव का नतीजा है कि नुपूर शर्मा को जहां पार्टी ने निलंबित कर दिया है, वहीं नवीन जिंदल को पार्टी से निकाल दिया गया है। वहीं भारत सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि किसी व्यक्ति का विचार या टिप्पणी का मतलब सरकार की नहीं होती है। जाहिर है भारत सरकार जल्द से जल्द इस विवाद को खत्म करना चाहती है। क्योंकि उसे पता है कि यह विवाद भारत के आर्थिक, कूटनीतिक सभी स्तर पर असर डालेगा।
88 लाख भारतीय और 50 अरब पेट्रो डॉलर
खाड़ी देशों में सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कुवैत, ओमान और कतर देश मिलकर गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) बनाते हैं। और यह भारत के लिए कितने अहम हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन देशों में करीब 88 लाख भारतीय रहते हैं। जो रोजगार, बिजनेस और दूसरे कामों के लिए यहां पर बसे हुए हैं। इन भारतीयों से हर साल करीब 50 अरब डॉलर की रकम भारत पहुंचती है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में विदेशों में बसे भारतीयों ने करीब 87 अरब डॉलर की रकम भारत में रहने वाले अपने परिवार के लोगों के पास भेजी है। इसमें से 60 फीसदी यानी करीब 50 अरब डॉलर खाड़ी देशों से भेजा गया है। और मौजूदा विवाद अगर बढ़ता है तो इसका असर इन देशों में रहने वाले भारतीयों पर सीधे तौर पर पड़ेगा। जिसमें रोजगार से लेकर दूसरे संकट खड़े हो सकते हैं।
पेट्रोल, गैस, चावल तक कारोबार
खाड़ी देशों से भारत अपने ईंधन जरूरतों के लिए सबसे ज्यादा निर्भर है। वाणिज्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार भारत के साथ व्यापार करने वाले टॉप-5 देशों में तीन देश खाड़ी देशों सें हैं। इसमें 72 अरब डॉलर से ज्यादा कारोबार के जरिए यूएई अमेरिका, चीन के बाद तीसरे नंबर पर है। जबकि उसके बाद चौथे नंबर पर सउदी अरब, और पांचवें नंबर पर ईरान है। इसके अलावा कतर भी 21 वें नबर पर आता है।
भारत करीब 50 फीसदी से ज्यादा पेट्रोलियम उत्पादों का खाड़ी देशों से आयात करता है। इसके अलावा करीब 18 फीसदी गैस का आयात करता है। इसमें कतर LNG गैसों का बड़ा निर्यातक है। जबकि भारत खाड़ी देशों को प्रमुख रूप से रिफाइन्ड पेट्रोलियम, ज्वैलरी और चावल का निर्यात करता है। यानी साफ है कि अगर इन देशों से रिश्ते बिगड़ते हैं तो भारत के लिए अपनी एनर्जी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा। भारत ने 2021-22 में GCC देशों को 44 अरब डॉलर का निर्यात किया था। जबकि 110 अरब डॉलर का आयात किया है।
इसके अलावा भारत ने यूएई के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया हुआ है और अब वह GCC देशों के साथ भी एफटीए करने की तैयारी में है।
OIC का बयान अनुचित और संकीर्ण मानसिकता का प्रतीक, भारत का कड़ा रूख
अपराधियों को पकड़ने में मददगार रहा है यूएई
रिपोर्ट के अनुसार अगस्ता वेस्टलैंड डील में मिडिलमैन क्रिश्चियन मिशेल से लेकर इंडियन मुजाहिदीन का अब्दुल वाहिद सिद्दबापा, दाउद इब्राहामी का करीबी फारुख टकला, दाउद का भाई इकबाल शेख कासकार से लेकर करीब 19 अपराधियों का प्रत्यर्पण 2002 से 2018 के दौरान यूएई ने भारत को किया है। जाहिर है, भारत के लिए न केवल कारोबारी बल्कि कूटनीति के स्तर पर भी खाड़ी देश काफी अहम रखते हैं। इसके अलावा चाहे कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की बात हो या फिर CAA का मुद्दा रहा हो खाड़ी देशों ने भारत के पक्ष का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से समर्थन किया है। ऐसे में पैगंबर विवाद को लेकर भारत और खाड़ी देशों पर असर पड़ता है तो यह मोदी सरकार के लिए बड़ा सेटबैक होगा।