- 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में अवंतीपोरा के निकट सीआरपीएफ के काफिले पर हुआ था हमला
- आतंकी हमले की तह तक पहुंचने के लिए एनआईए कर रही है जांच
- पिछले एक साल की जांच में मास्टरमाइंड के बारे में पता नहीं
नई दिल्ली। पुलवामा में आतंकी हमले की पहली बरसी पर देने उन शहीदों को याद किया जिन्होंने शहादत दे दी। सीआरपीएफ ने खास अंदाज में उन वीर सपूतों को याद किया। लेकिव एक सवाल यह है कि इस हमले का मास्टर माइंड कौन था। हमले के बाद सीआरपीएफ ने पांच लोगों को मार गिराया था। आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश ए- मोहम्मद ने ली थी। इस हमले की तह तक पहुंचने के लिए एनआईए को जांच सौंपी गई। लेकिन उसके हाथ अभी भी खाली हैं। एनआईए के पास कोई ठोस सूचना या आरोपी के बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है।
पुलवामा के लिए कौन है जिम्मेदार
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जो लोग इस मामले में संदिग्ध थे वो अब इस दुनिया में नहीं है। इसकी वजह से यह पता लगाना मुश्किल हो गया है कि आखिर हमले का सूत्रधार कौन था। इसके साथ बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में आरडीएक्स कहां से आया था। इस वजह से एनआईए चार्जशीट तक दाखिल करने में नाकाम रही है। जानकार कहते हैं कि आमतौर पर किसी केस में चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 दिन का समय मिलता है। आम तौर पर एनआईए भी 90 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल करती रही गै। लेकिन पुलवामा अटैक में आज की तारीख में चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है।
पक्ष और प्रतिपक्ष में सियासत के बीच एनआईए के हाथ खाली
पुलवामा हमले की पहली बरसी पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि देश वीर सपूतों के शहादत को कैसे भूल सकता है। लेकिन उन्होंने तीन अहम सवाल उठाए और पूछा कि इस हमले की जांच में अब तक क्या सामने आया है? बीजेपी की सरकार के समय हमला हुआ था तो सुरक्षा में चूक के लिए किसे जिम्मेदार माना गया है। राहुल गांधी के साथ सीपीएम नेता मोहम्मद सलीम ने भी सवाल उठाया कि देश आज भी जानना चाहता है कि सूत्रधार कौन था। विपक्ष के इस तरह के आरोपों के जवाब में बीजेपी ने कहा कि विपक्ष को सुरक्षाबलों की शहादत पर भी शक होता है। पार्टी इस तरह के अर्थहीन बातों को तवज्जो नहीं देती है।
एनआईए के सामने है बड़ी चुनौती
2008 में मुंबई में आतंकी हमले के बाद एनआईए का गठन किया गया था। एनआईए से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि मुंबई हमले की ही तरह पुलवामा अटैक की जांच भी अंधेरे में तीर चलाने जैसा है। पुलवामा के संबंध में कई तरह की बातें की जाती है। लेकिन किसी भी बात को परखने के लिये साक्ष्य की जरूरत होती है। जांच एजेंसी की तरफ से जो दावे किए जाएंगे उसकी सत्यता के बार में अदालत में जिरह होगी। एक अधिकारी ने कहा कि पहली चुनौती आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार द्वारा हमले में इस्तेमाल की गई कार के असली मालिक का पता लगाना है। दरअसल हमले में हुए विस्फोट के बाद कार पूरी तरह नष्ट हो गई थी जिसकी वजह से वाहन के मालिक तक पहुंच पाना आसान नहीं है।