- किसानों ने सोमवार से 15 दिनों के लिए अपना रेल रोको आंदोलन वापस लेने का फैसला किया है
- किसान संगठनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रेल रोको आंदोलन शुरू किया था
- उन्होंने चेताया कि अगर केंद्र सरकार अगले 15 दिनों में किसान प्रतिनिधियों से बातचीत करने में नाकाम रहती है तो फिर नाकेबंदी शुरू की जाएगी
चंडीगढ़ : आवश्यक आपूर्ति की भारी कमी का सामना कर रहे पंजाब को राहत देने वाले एक कदम के तहत राज्य के किसान संगठनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रेल रोको आंदोलन सोमवार से 15 दिनों के लिए वापस लेने का शनिवार को फैसला किया। हालांकि किसान संगठनों ने कहा कि अगर सरकार उनके मुद्दों को हल करने में नाकाम रहती है तो वे फिर से रेल पटरियों को बाधित कर देंगे। इस बीच मंडल रेल प्रबंधक (फिरोजपुर) राजेश अग्रवाल ने एक बयान में कहा कि जैसे ही किसान अपनी नाकेबंदी हटा लेंगे, रेलवे अपनी सेवाएं फिर शुरू करने के लिए तैयार हो जाएगा।
पंजाब में 24 सितंबर से ट्रेन सेवाएं स्थगित हैं जब किसानों ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ अपना 'रेल रोको' आंदोलन शुरू किया। इससे पहले किसानों ने मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए सहमति दी थी। लेकिन रेलवे ने मालगाड़ियों को फिर से चलाने से इनकार कर दिया और कहा कि वह मालगाड़ी और यात्री ट्रेनों, दोनों का संचालन करेगा या किसी का भी संचालन नहीं करेगा। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ किसान नेताओं की बैठक के बाद यात्री गाड़ियों की नाकेबंदी को हटाने का फैसला किया गया। इस फैसले की घोषणा भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने की।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए केंद्र सरकार अगले 15 दिनों में किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने में नाकाम रहती है तो फिर नाकेबंदी शुरू की जाएगी। क्रान्तिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा, 'हमने 23 नवंबर की शाम से यात्री ट्रेनों के लिए अनुमति देने का फैसला किया है।'
सीएम ने किया फैसले का स्वागत
पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'किसान संगठनों के साथ सार्थक बैठक हुई। यह जानकारी साझा करते हुए खुशी हो रही है कि 23 नवंबर की रात से किसान संगठनों ने 15 दिनों के लिए रेल नाकेबंदी को समाप्त करने का फैसला किया है। मैं इस कदम का स्वागत करता हूं क्योंकि इससे हमारी अर्थव्यवस्था में सामान्य स्थिति बहाल हो सकेगी। मैं केंद्र सरकार से पंजाब के लिए रेल सेवाएं फिर से शुरू करने का आग्रह करता हूं।'
अमरिंदर से मुलाकात के पहले इस मुद्दे पर विचार करने के लिए किसान संगठनों ने अपनी बैठक की। भारती किसान मंच के अध्यक्ष बूटा सिंह शादीपुर ने यहां बैठक के बाद मीडिया से कहा, 'पंजाब के हित को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया।' उन्होंने कहा कि यह निर्णय केंद्र या पंजाब सरकार के दबाव में नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा, 'अगर केंद्र ने हमारे मुद्दों का हल नहीं किया, तो हम फिर से रेल पटरियों को बाधित करेंगे।'
26-27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' मार्च
किसान नेताओं ने कहा कि वे 26-27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' मार्च के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी जाएंगे। बीकेयू (डकौंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि टोल प्लाजा, रेलवे स्टेशनों के बाहर, शॉपिंग मॉल और भाजपा नेताओं के आवासों के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। किसानों की घोषणा के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने केंद्र से सभी ट्रेन सेवाएं बहाल करने और किसानों के साथ आगे बातचीत करने का आग्रह किया। एक सरकारी बयान के अनुसार सिंह ने किसान नेताओं को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे तथा उनकी मांगों पर जोर देंगे।
सिंह ने किसान प्रतिनिधियों से यह भी वादा किया कि वह उनकी अन्य मांगों पर भी गौर करेंगे जो गन्ना के मूल्य में वृद्धि, बकाया राशि की मंजूरी और पराली जलाने के मामलों में दर्ज प्राथमिकी वापस लेने से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि वह अगले एक सप्ताह के भीतर इन मुद्दों पर उनसे बातचीत करेंगे और इस संबंध में एक समिति गठित की जाएगी। इससे पहले सिंह ने अपील करते हुए कहा कि यदि रेल सेवाएं बहाल नहीं होती है तो राज्य को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।