- पराली जलाने की गंभीर समस्या के समाधान से हाथ पीछे खींचने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की आलोचना की
- फसलों के अवशेष के प्रबंधन के लिए एक लाख से अधिक मशीनें देने पर विचार कर रही है पंजाब सरकार भगवंत मान
- पराली जलाने के खतरे को रोकने के उद्देश्य से उठाया कदम
चंडीगढ़: पराली जलाने की समस्या का व्यावहारिक समाधान सुनिश्चित बनाने से हाथ खींचने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार पराली के खेतों में ही निपटारे के लिए अपने संसाधनों से एक लाख से अधिक मशीनें देने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने इस खतरे का साझा समाधान पेश किया था, परन्तु केंद्र सरकार ने हमारी मदद करने की बजाय इससे अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमें हमारे किसानों के कल्याण और पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने से रोका जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में 75 लाख एकड़ क्षेत्रफल में धान की कृषि की गई है। इसमें से 37 लाख एकड़ वाले किसान पराली को आग नहीं लगाते। भगवंत मान ने कहा कि बाकी बची 38 लाख एकड़ जमीन में पराली के प्रबंधन को सुनिश्चित बनाने के लिए बड़े कदम उठाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार इस मंतव्य के लिए एक लाख मशीनें देने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि रोजाना की आठ से 10 एकड़ फसलों के अवशेष का निपटारा करने की क्षमता रखने वाली यह मशीनें इस समस्या को हल करेंगी। भगवंत मान ने कहा कि यह राज्य सरकार की पंजाब को स्वच्छ, हरा-भरा और प्रदूषण मुक्त बनाने की प्रतिबद्धता के अनुसार है।
गुरबाणी की तुक ‘पवन गुरू, पानी पिता, माता धरत महत’ का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि महान गुरूओं ने हवा (पवन) को गुरू से, पानी की पिता से और जमीन (धरती) की माता से तुलना की है। भगवंत मान ने कहा कि अब समय आ गया है, जब हमें फसलों के अवशेष को न जलाने का संकल्प लेकर राज्य की पुरातन शान को बहाल करने के लिए गुरबाणी की शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस नेक कार्य के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी।