Pushkar Dhami Lucknow News: उत्तराखंड में दोबारा मुख्यमंत्री की शपथ लेने की तैयारी में लगे पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Dhami) का यूपी की राजधानी लखनऊ से पुराना नाता (Lucknow Connection) रहा है। पुष्कर सिंह धामी लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र होने के साथ ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में भी काम करते थे। पढ़ाई के साथ-साथ वह लविवि की छात्र राजनीति में काफी सक्रिय रहे। छात्रों की छोटी-छोटी समस्याओं को उठाने वाले धामी दोस्तों के काफी प्रिय रहे।
उनके साथ काम कर चुके वर्तमान में बलिया से विधायक दयाशंकर सिंह कहते हैं कि वह अपने स्वाभाव से सबका मन मोह लेते थे। एनडी हास्टल के कमरा नंबर 119 में रहते थे। अक्सर मेस में खाना खत्म हो जाने पर हम सब खुद ही दाल-चावल और चोखा बना लेते थे। वह छात्रसंघ में काफी एक्टिव रहे। वह विद्यार्थी परिषद के तमाम दयित्वों में रहे। वह छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ना चाहते थे। उन्होंने तमाम प्रकार के आंदोलनों में भाग भी लिया। वह संगठन को मजबूत बनाने पर बहुत ध्यान देते थे। लेकिन वह मेल-जोल बढ़ाने पर काफी यकीन रखते हैं। उनको दोबरा मुख्यमंत्री बनने पर बहुत खुशी है।
'धामी की एक खसियत है जो एक बार उनसे मिला है,उसे नाम से पुकारते हैं'
एबीवीपी के पूर्व संगठन मंत्री सोमेष वर्धन सिंह ने बताया कि 1996 में पुष्कर धामी हम लोगों के साथ विद्यार्थी परिषद से जुड़े। इसके बाद वह विश्वविद्यालय इकाई के पहले मंत्री थे। यहां विश्वविद्यालय के प्रमुख थे। वह छात्रसंघ का चुनाव भी लड़ना चाह रहे थे।
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उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में आरएसएस की शाखा लगाने के मुख्य सूत्र धार यही थे। उन्होंने बताया कि जब छात्रों को छात्रावास से निकाला गया तो वह छात्रों के साथ खड़े रहे। उन्होंने प्रदर्शन भी किया। धामी की एक खसियत है जो लखनऊ में एक बार उनसे मिला है,उसे नाम से पुकारते हैं।
'पुष्कर सिंह धामी बेहद ही अनुशासित नेता हैं'
लखनऊ विश्वविद्यालय से मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में स्नानकोत्तर, स्नातक तथा एलएलबी करने के साथ ही डीपीए (डिप्लोमा इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन) कोर्स करने वाले पुष्कर सिंह धामी बेहद ही अनुशासित नेता हैं। आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग के प्रशिक्षित स्वयंसेवक धामी ने अपने छात्र जीवन के दौर में भी सामाजिक कार्य में काफी बढ़कर भाग लिया।उन्होंने विश्वविद्यालय स्तर (लखनऊ विश्वविद्यालय) से दायित्ववान कार्यकर्ता का भी काम बखूबी संभाला। इससे पहले भी करीब दस वर्ष तक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता के रूप में समूचे राज्य में सक्रिय रहे।
उत्तराखंड के गठन के बाद वह लखनऊ को छोड़कर खटीमा चले गए
उसके बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा, उत्तराखंड के लगातार दो बार 2002 से 2008 तक प्रदेश अध्यक्ष बने। वह 2001-2002 तक मुख्यमंत्री, उत्तराखंड के विशेष कार्याधिकारी रहे। इसके बाद 2010-2012 से दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री शहरी अनुश्रवण समिति, उत्तराखंड रहे। वह 2016 से अभी तक भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। वह 2012-2017 और 2017-2022 तक खटीमा से विधायक रहे।