- किसानों और कृषि कानून के मुद्दे पर विपक्षी नेता राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिले
- राहुल गांधी बोले- केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस ले
- शरद पवार बोले- केंद्र सरकार का रवैया किसानों के प्रति ठीक नहीं
नई दिल्ली। किसान पिछले 14 दिन से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं, उनकी मांग है कि मौजूदा कृषि कानूनों को सरकार वापस ले। इस संबंध में मंगलवार को 13 किसान नेताओं की गृहमंत्री अमित शाह से बातचीत हुई। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार की तरफ से किसानों को प्रस्ताव भी भेजा गया । लेकिन किसानों को वो प्रपोजल स्वीकार नहीं है। इन सबके बीच पांच बड़े विपक्षी नेताओं ने महामहिम राष्ट्रपति से मुलाकात की और एक सुर में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार हठ पर अड़ी है।
राहुल गांधी बोले- कृषि कानून वापस हो
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को किसानों की मांग पर गंभीरता से विचार करते हुए मौजूदा कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। देश का किसान समझ गया है कि मोदी सरकार ने उन्हें धोखा दिया है और अब वो पीछे नहीं हटने वाला क्योंकि वो जानता है कि अगर आज समझौता कर लिया तो उसका भविष्य नहीं बचेगा। किसान हिंदुस्तान है! हम सब किसान के साथ हैं, डटे रहिए।
इसके साथ ही सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को ज्ञापन दिया है। हम कृषि कानूनों और बिजली संशोधन बिल को रद्द करने के लिए कह रहे हैं जो उचित विचार-विमर्श और परामर्श के बिना लोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए थे।
'सरकार ने सेलेक्ट कमेटी की बात नहीं मानी'
एनसीपी के मुखिया शरद पवार मे कहा कि कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए सभी विपक्षी दलों से अनुरोध किया गया था कि इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए, लेकिन दुर्भाग्य से, कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और बिलों को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया। इस भीषण ठंड में किसान अपनी नाखुशी जताते हुए शांतिपूर्ण तरीके से सड़कों पर उतर रहे हैं। इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है।