- राजस्थान संकट पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई अहम सुनवाई
- शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार किया
- सचिन पायलट खेमे को मिली राहत, एससी में सोमवार को मामले की फिर सुनवाई
नई दिल्ली : अयोग्यता नोटिस मामले में सचिन पायलट खेमे को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली। शीर्ष अदालत ने सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायों की याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट को आदेश पारित करने से रोकने की मांग अस्वीकार कर दी। साथ ही शीर्ष अदालत ने राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी की अर्जी पर सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी है। सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश गहलोत सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है क्योंकि स्पीकर चाहते थे कि इस मामले में शीर्ष अदालत राजस्थान हाई कोर्ट को कोई आदेश पारित करने से रोके।
सिब्बल ने कहा-कोर्ट अभी दखल नहीं दे सकता
स्पीकर जोशी की तरफ से कोर्ट में दलील पेश करने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रख्यात वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि स्पीकर की ओर से अयोग्यता मामले में शुरू की गई कार्रवाई की प्रक्रिया में हाई कोर्ट दखल नहीं दे सकता। सिब्बल ने कहा कि संविधान की अनुसूची 10 में विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार स्पीकर को मिला हुआ है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से सवाल किया कि वह बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई क्यों आगे बढ़ाना चाहती है।
एससी ने कहा-विधायक जनता द्वारा चुने गए हैं
कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा, 'लोकतंत्र में असंतोष की आवाज नहीं दबाई जा सकती।' स्पीकर की ओर से बागी विधायकों को भेजे गए अयोग्यता नोटिस का बचाव करते हुए सिब्बल ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि ये विधायक पार्टी की बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे और ये अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की साजिश में शामिल हैं। पीठ की अगुवाई करने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा, 'यह एक साधारण बात नहीं है क्योंकि ये विधायक जनता की ओर से चुने गए हैं।' कोर्ट ने कहा कि अयोग्यता की कार्रवाई आगे बढ़ाई जा सकती है या नहीं, हम इस पर विचार करेंगे।
सिब्बल ने स्पीकर के नोटिस का बचाव किया
कांग्रेस नेता ने कोर्ट के एक सवाल के जवाब में कहा, 'ये विधायक हरियाणा गए थे और वहां एक होटल में ठहरे। यहां पर इन्होंने बयान दिया कि ये फ्लोर टेस्ट चाहते हैं।' सिब्बल ने कहा कि ‘हमारी शिकायत पूरी तरह संवैधानिक है और अध्यक्ष का फैसला होने तक कोई आदेश नहीं दिया जा सकता।’उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक अध्यक्ष से कहा जा सकता है कि वह एक समयसीमा के अंदर इसका फैसला करे, लेकिन इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता और विधायकों की अयोग्यता या निलंबन के बारे में अध्यक्ष का निर्णय होने से पहले उसके समक्ष लंबित कार्यवाही को चुनौती नहीं दी सकती।
पायलट और गहलोत के बीच आरोप-प्रत्यारोप
सचिन पायलट और उनके गुट के विधायकों के बागी तेवर अपनाने के बाद कांग्रेस ने पायलट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद और डिप्टी सीएम पद से हटा दिया है। इस बीच, अटकलें लगीं कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो सकते हैं लेकिन पायलट ने खुद इस बात से इंकार किया। चर्चा यह भी है कि पायलट राजस्थान में अपनी क्षेत्रीय पार्टी खड़ी कर सकते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट पर निजी हमला करते हुए उन्हें 'निकम्मा' तक कहा है। गहलोत का आरोप है कि पायलट भाजपा के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश रच रहे हैं।