- राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट बगावत कर रहे हैं
- अशोक गहलोत और सचिन पायलट में लंबे वक्त से तनातनी
- सचिन पायलट की ये बगावत गहलोत सरकार के लिए बनी परेशानी
नई दिल्ली: राजस्थान की राजनीति में जो रायता फैला है, उसको समेटना दूर की बात लगने लगा है। राज्य के प्रभारी के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के आलाकमान भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन सचिन पायलट हैं कि सत्ता पलटने के लिए अड़े हैं। आखिर क्यों पायलट सत्ता पलटने को तैयार बैठे हैं और क्यों वो बगावत पर उतर आए हैं। इस बगावत के तार बहुत लंबे हैं। चलिए आपको थोड़ा पीछे ले सकते हैं। बताते हैं कि आखिर कब से गहलोत और पायलट के बीच दूरियां शुरू हुईं, जो आज खाई बन गई।
दिसंबर 2018 में कैबिनेट पोर्टफोलियो पर असहमति
राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री की ये टशन साल 2018 में चुनाव के बाद कैबिनेट बंटवारे को लेकर हुई। गहलोत ने अपने पास 9 मुख्य मंत्रालय रखे, सचिन पायलट इससे खुश नहीं थे। पायलट गृह विभाग को लेने पर अड़े थे, लेकिन ये हो न सका। हालांकि किसी तरह से पायलट पांच विभाग लेकर उस समय चुप हो गए, लेकिन तकरार का बीज उसी वक्त पड़ चुका था।
लोकसभा सीट को लेकर टकराव
गहलोत और पायलट के बीच जो आज गहरी खाई दिख रही है, उसकी नींव का एक कारण गहलोत के बेटे को साल 2019 के लोकसभा चुनाव का टिकट भी है। पायलट नहीं चाहते थे कि मुख्यमंत्री के बेटे को उम्मीदवार बनाया जाए, लेकिन उनकी एक न चली।
वैभव की हार पायलट के सर
मुख्यमंत्री गहलोत के सुपुत्र वैभव गहलोत लोकसभा चुनाव हार गए। जोधपुर सीट से बीजेपी के गजेन्द्र सिंह शेखावत ने उन्हें पराजित किया। बेटे की हार का जिम्मेदार गहलोत ने पायलट को बताया। गहलोत ने कहा कि पायलट ने ही कहा था कि जोधपुर सीट से कांग्रेस की बंपर जीत होगी और उन्होंने ही वैभव का नाम जोधपुर उम्मीदवारी के लिए दिया। सचिन और गहलोत में भीषण टकराव दिखा।
अक्टूबर 2019 मेयर का चुनाव
ये समय भी दोनों के बीच टकराव लाने के लिए अहम है। पायलट ने उन लोगों को अनुमति देने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया, जो लोगों द्वारा सीधे मेयर चुनाव लड़ने के लिए नहीं चुने गए थे। मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी शांति धारीवाल पर हमला बोलते हुए पायलट ने कहा था कि यदि मंत्री यह निर्णय लेना चाहते हैं, तो मैं कहूंगा कि यह व्यावहारिक नहीं है और राजनीतिक रूप से सही नहीं है। इस फैसले को बदलने की जरूरत है।
सरकार के एक साल पूरा होने पर टकराव
राजस्थान सरकार के एक साल पूरा होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रालय के कामों को दिखाया, तारीफ की, लेकिन पायलट के मंत्रालय को छोड़ दिया। इसपर भी पायलट बहुत खफा हुए। सचिन पायलट ने कहा था कि गहलोत सरकार को उनके मंत्रालय के कामों को भी दिखाना चाहिए था।
जनवरी 2020 में 107 बच्चों की मौत पर बढ़ी दूरियां
इसी साल जनवरी में कोटा अस्पताल में 107 बच्चों की मौत के मामले में भी सचिन पायलट सरकार के विरुद्ध खड़े नजर आए। पायलट ने कहा था कि सरकार को और संजीदा होना चाहिए था। ये वो वक्त था जब राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ उप मुख्यमंत्री की आवाज विरोधी खेमे में भी सुनी गई।
जून 2020 राज्यसभा चुनाव से पहले
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीजेपी पर कांग्रेस विधायकों को 25-35 करोड़ रूपए में खरीदने का आरोप लगाया। सचिन पायलट ने गहलोत के इस आरोप का खंडन किया। इन सभी दावों को आधारहीन बताते हुए पायलट ने कहा कि चुनाव से पहले उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा चुनाव नतीजों के बाद लगाए गए सभी आरोप निराधार साबित हुए हैं। पायलट ने कहा, "हमारे दोनों उम्मीदवारों को हमारे विधायकों से शत-प्रतिशत वोट मिले हैं, जो चुनाव के दौरान एक साथ खड़े थे। मैं दावा कर रहा हूं कि हमारे दोनों उम्मीदवार जीतेंगे और जो हमने दावा किया है वह सच हो गया है।
जो बगावत आज आप मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच देख रहे हैं, उसका बिगुल तो बहुत पहले ही बज चुका था। अब देखना होगा कि क्या सच में मध्य प्रदेश की तर्ज पर बीजेपी ऑपरेशन लोटस राजस्थान में भी चला पाएगी ? या फिर कांग्रेस अपने इस युवा नेता को हर बार की तरह इस बार भी मना लेगी?