- गत तीन जुलाई को पीएम मोदी ने किया लेह का दौरा
- लेह दौरे के बाद जम्मू-कश्मीर जाएंगे राजनाथ सिंह
- सिंह के साथ सीडीएस और सेना प्रमुख दोनों मौजूद
नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए शुक्रवार सुबह लेह पहुंचे। लेह के लुकुंग पोस्ट पर रक्षा मंत्री के सामने भारतीय सेना ने अपनी वीरता एवं पराक्रम का प्रदर्शन किया। वायु सेना के जवानों ने यां पैरा ड्रांपिंग की। इस दौरान रक्षा मंत्री ने हथियार तानकर सुरक्षाबलों का हौसला बढ़ाया। रक्षा मंत्री के इस दौरे पर उनके साथ सीडीएस बिपिन रावत और सेना प्रमुख एमएम नरवणे भी मौजूद हैं। रक्षा मंत्री सिंह का लद्दाख दौरा ऐसे समय हो रहा है जब गलवान घाटी से चीन अपने सैनिकों को पीछे हटा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत तीन जुलाई को लेह का दौरा किया। इस दौरे पर उन्होंने सैनिकों एवं अधिकारियों से मुलाकात की। सैनिकों को संबोधित करते हुए पीएम ने चीन की विस्तारवादी नीति की आलोचना की।
राजनाथ सिंह ने तानी बंदूक
लेह में सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए राजनाथ सिंह ने एक भारी हथियार अपनी हाथों में उठाया और उसके साथ पोजिशन ली। सेना के जवानों ने अपनी जांबाजी का प्रदर्शन करते हुए पैरा ड्रांपिंग की। इस रणक्षेत्र में भारतीय टैंकों ने अपनी गड़गड़ाहट और करतब से संदेश दिया कि वे सरहद की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार हैं।
कश्मीर भी जाएंगे राजनाथ
अपने इस दौरे के बारे में ट्वीट करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा है, 'जम्मू कश्मीर और लद्दाख की यात्रा पर दो दिन के लिए रवाना हो रहा हूं। मैं वहां सीमा पर स्थित अग्रिम मोर्चे पर जाऊंगा और स्थिति की समीक्षा करूंगा। इसके अलावा मैं लेह में तैनात सशस्त्र बलों के जवानों के साथ मेरी बातचीत भी होगी। मैं इस दौरे को लेकर काफी आशान्वति हूं।' सीमा पर चीन के साथ तनाव बनने के बाद पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में लगातार सीजफायर का उल्लंघन कर रहा है। वह आतंकियों के जरिए घाटी में आतंकवादी हमले कराने की फिराक में है।
तीन जुलाई को पीएम गए थे लेह
बीते 15 दिनों में सरकार की तरफ से होने वाली यह दूसरी बड़ी यात्रा है। गत तीन जुलाई को पीएम मोदी ने लेह का दौरा किया। उन्होंने सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, 'लेह-लद्दाख से सियाचिन, कारगिल से लेकर गलवान घाटी की बर्फीले पानी, यहां के प्रत्येक पहाड़ और चोटी ने हमारे सैनिकों के साहस को देखा है। इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतें या तो खत्म हो गईं या पीछे हटने के लिए बाध्य हुईं।' पीएम ने अपने संबोधन में चीन का नाम तो नहीं लिया लेकिन उनका इशारा चीन की तरफ ही था।
गलवान घाटी में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई झड़प
गत 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ। इस हिंसक संघर्ष में भारत के 20 जवान शहीद हुए। गलवान की इस घटना के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया। भारत और चीन ने एलएसी के समीप अपने अग्रिम मोर्चों पर सैनिकों की तादाद में भारी वृद्धि कर दी। साथ ही सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देशों की तरफ से पहल भी हुई। कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर की कई दफे की बातचीत के दौरान सीमा पर तनाव कम करने पर सहमति बनी है। अतिक्रमण वाली जगहों से चीनी सेना पीछे हटने के लिए तैयार हुई है।