बेंगलुरु : सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल समिति ने हाल ही में भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस विमानों की खरीद को को मंजूरी दे दी है, जिस पर करीब 50,000 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन से तनाव के बीच सरकार के इस कदम को काफी अहम माना जा रहा है। यह रक्षा डील न केवल सरहदों की रक्षा और भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे रोजगार के बड़े अवसर का भी सृजन होगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को इस संबंध में कहा, 'लगभग 50,000 करोड़ रुपये की लागत से 83 तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद एक बड़ा कदम है। इससे रोजगार के 50,000 अवसरों का सृजन होगा।' उन्होंने कहा कि इसमें 500 MSMEs और टाटा, L&T व Vem-tech जैसी प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी से सरकार और प्राइवेट सेक्टर के बीच तालमेल और मजबूत होगी।
बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कहा, 'आजादी के बाद हमारे देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) का बहुत बड़ा योगदान रहा है। चाहे पूंजी निर्माण हो, रोजगार के अवसर का सृजन हो या अनुसंधान एवं विकास को आगे ले जाना हो, PSUs की भूमिका इसमें बहुत महत्वपूर्ण रही है।'
उन्होंने कहा, 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' के अंतर्गत हमारी सरकार ने हाल ही में कई नीतिगत बदलाव किए हैं, जिनसे लोग भलीभांति परिचित हैं, चाहे रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्धन नीति (DPEPP) में बदलाव हो या नवीन रक्षा अधिग्रहण खरीद (DAP) का निर्धारण हो।' हाल ही में करीब 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से 83 तेज लड़ाकू विमानों की खरीद को उन्होंने इसी दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
यहां उल्लेखनीय है कि तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि कम ऊंचाई पर उड़कर दुश्मन पर नजदीक से सटीक निशाना साध सकता है और दुश्मन के रडार को भी चकमा दे सकता है। यह हवा से हवा में, हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में सक्षम है तो इसमें एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट भी लगाए जा सकते हैं। भारतीय वायुसेना के प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने स्वदेशी निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस को चीन और पाकिस्तान के बहुचर्चित JF-17 से कहीं अधिक बेहतर व उन्नत बताया और यह भी कहा कि महत्वपूर्ण मिशन को अंजाम देने में सक्षम है।