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राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को धूल चटाने वाले योद्धा की पत्नी के पैर छुए, कहा- सौगंध इस मिट्टी की, देश झुकने नहीं देंगे

Updated Dec 14, 2021 | 20:26 IST

स्वर्णिम विजय पर्व समापन समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सौगंध हमें इस मिट्टी की, हम देश नहीं झुकने देंगे! साथ ही उन्होंने 1971 के युद्ध के दिग्गज परमवीर चक्र से सम्मानित कर्नल होशियार सिंह की पत्नी के पैर छूए।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 युद्ध के दिग्गज की पत्नी के पैर छुए

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को 1971 के युद्ध के एक दिग्गज की पत्नी के पैर छुए। रक्षा मंत्री ने यहां स्वर्णिम विजय पर्व समापन समारोह ( Swarnim Vijay Parv Samapan Samaroh) में कर्नल होशियार सिंह की पत्नी से मुलाकात की और उनके पैर छुए। इस समारोह का आयोजन 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की जीत की 50वीं वर्षगांठ से पहले आयोजित किया गया। गौर हो कि कर्नल होशियार सिंह को 1971 के युद्ध के दौरान अनुकरणीय साहस का प्रदर्शन करने के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था, जिसके कारण बांग्लादेश की मुक्ति हुई, जिसे उस समय पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था।

इस कार्यक्रम में बोलते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि 1971 का युद्ध न्याय के लिए युद्ध था, जिसके कारण एक नए राष्ट्र-बांग्लादेश का जन्म हुआ। वैसे तो भारत और बांग्लादेश दो अलग-अलग देश हैं, पर वास्तव में दोनों की समान संस्कृतियां और भाषाएं रही हैं, साथ ही 1971 के युद्ध में दोनों देशों के वैटरन्स और ‘मुक्तियोद्धाओं’ का उद्देश्य भी बिलकुल समान रहा है। उन्होंने कहा कि आइए, हम यह प्रण लें कि हम युवा भी राष्ट्र और समाज की सेवा में अपनी पूर्ण क्षमता और तपस्या से कार्य करें, ताकि आज से 50 साल बाद के लोग आप की कहानी को दोहराने का संकल्प लें। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है, और मुझे आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि आप सभी इस कार्य में सफल होंगे।

उन्होंने कहा कि सौगंध हमें इस मिट्टी की, हम देश नहीं झुकने देंगे! आज दिल्ली में विजय पर्व के समापन समारोह में देश के विभिन्न इलाकों से लाई गई मिट्टी के मिश्रण को माथे से लगाया। देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखना हम सभी भारतीयों की जिम्मेदारी है। आज जिन दिग्गज को हम सब मिलकर कृतज्ञतापूर्ण सम्मान दे रहे हैं, उन्होंने अपनी युवावस्था में धर्म, समाज, और राष्ट्र में अपने व्यक्तिगत हित से ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र के लिए बहुत कुछ बलिदान किया है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि 1971 के युद्ध का उद्देश्य था आम नागरिकों के प्रति अत्याचार और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आम लोगों की प्रतिबद्धता। यह युद्ध एक न्याय युद्ध था, जिसके कारण एक नए राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ का जन्म हुआ। यह युद्ध, मानवता के प्रति भारत के कमिटमेंट को दर्शाने वाला युद्ध था।

उन्होंने कहा कि भारत में प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को ‘विजय दिवस’ और बांग्लादेश इसको ही उच्चारण के थोड़े अंतर से ‘बिजॉय दिबोस’ मनाता है। 1971 में इसी दिन पाकिस्तान की सेना ने भारतीय सेना और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों-मुक्ति बाहिनी-संयुक्त कमान के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।

बांग्लादेशी नेता, शेख मुजीबुर-रहमान जिन्होंने पाकिस्तानी अत्याचार से बंगाली जनता की मुक्ति का शंखनाद किया था, वह भी इतिहास में अमर हो गए। उन्हें ‘बंगबंधु’ और ‘बांग्लादेश के राष्ट्रपिता’ जैसे असीम स्नेह व सम्मानसूचक संबोधनों से जनता ने सम्मानित किया।

1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत की जीत विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण जीत साबित हुई। पाकिस्तान ने इस युद्ध में अपनी एक तिहाई थल सेना, आधी नौसेना और एक चौथाई वायुसेना को गंवा दिया था।

‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ के माध्यम पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों का भी अंत हुआ था 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में 93000 पाकिस्तानी सैनिकों का आत्मसमर्पण विश्व के इतिहास का एक ऐतिहासिक आत्मसमर्पण था।

राजनाथ सिंह ने कहा कि आप लोग हमारे देश की सीमाओं सहित हमारी एकता और अखंडता के प्रहरी रहे हैं। एक बात की ओर कभी आप लोगों ने ध्यान दिया है? आज हमारा देश निर्बाध रूप से अपने प्रगति-पथ पर आगे बढ़ता जा रहा है।

हमारे मन में अपने वीर सैनिकों का सम्मान बस उनकी सेवा तक ही नहीं है, बल्कि उनकी सेवानिवृत्त के बाद भी उतना ही है। हमारा सदैव यह प्रयास रहेगा कि हम आप सभी के लिए और भी बेहतर से बेहतर कर पाएं, और इसके लिए हम मन से प्रतिबद्ध हैं।
 

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