- रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया है।
- राजपथ नाम आजादी के बाद किंग्स वे रोड को बदलकर दिया गया था।
- मोदी सरकार का नागरिकों के कर्तव्य पर जोर है।
Rajpath To Kartvyapath:राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ (Rajpath)और सेंट्रल विस्टा लॉन्स (Central Vista Lawns) को आज नई पहचान मिल जाएगी। सरकार ने ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ (Kartavya Path)करने का फैसला किया है। इस फैसले पर संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि राजपथ का नाम कर्तव्य पथ बदलना जन सेवा की याद दिलाएगा। और यह अहसास कराएगा कि शासन करने का अधिकार की भावना नहीं बल्कि सेवा की भावान रखनी है। जाहिर है सरकार नए बदलाव के जरिए ब्रिटिश दौर की गुलामी की याद दिलाने वाली विरासत को हटाना चाहती है।
इस कड़ी में ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार केवल लुटियन दिल्ली में मौजूद राजपथ में ही बदलाव कर रही है। वह पिछले 8 साल में लुटियन दिल्ली के कई इमारतों और सड़कों के नाम में बदलाव कर चुकी है। आइए जानते हैं, वह प्रमुख बदलाव कौन से हैं..
1. रेस कोर्स रोड का नाम हुआ लोक कल्याण मार्ग
इस बदलाव में सबसे प्रमुख नाम रेस कोर्स रोड है। जिसका साल 2016 में नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग कर दिया गया । असल में रेस कोर्स रोड पर ही प्रधानमंत्री आवास है। और इसे भारत के सबसे शक्तिशाली केंद्र के रूप में भी जाना चाहता है। मोदी सरकार ने अब इसका नाम लोक कल्याण मार्ग कर दिया है। इस रोड पर पहले रेस कोर्स हुआ करता था, तो उसी की वजह से रेस कोर्स रोड नाम पड़ गया।
2.औरंगजेब रोड बनी ए.पी.जे.अब्दुल कलाम
मुगल शासक औरंगजेब के नाम पर लुटियन दिल्ली की एक प्रमुख रोड का नाम औरंगजेब रोड रखा गया था। जिसका मोदी सरकार ने साल 2014 में सत्ता में आने एक साल बाद नाम बदलकर ए.पी.जे.अब्दुल कलाम कर दिया। अब यह रोड पूर्व राष्ट्रपति के नाम से जानी जाती है। औरंगजेब को भारतीय जनता पार्टी आक्रमणकारी, क्रूर शासक मानती है। इसके अलावा उसे हिंदुओं की धरोहर को नष्ट करने वाला मानती है।
3. डलहौजी रोड बनी दारा शिकोह रोड
इसी तरह राष्ट्रपति भवन से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित डलहौजी रोड का नाम लॉर्ड डलहौजी के नाम पर रखा गया । जो साल 1848 से 1856 तक भारत के गवर्नर जनरल थे। और उनके दौर में रानी लक्ष्मीबाई , नाना साहेब के राज्यों को हड़पा गया था। उनकी नीतियों का परिणाम था कि साल 1857 में भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ। साल 2017 में सरकार ने इस रोड का नाम औरंगजेब के भाई दारा शिकोह के नाम पर रखा दिया। जिसे हिंदू-मुस्लिम एकता का बड़ा प्रतीक माना जाता है। औरंगजबेद ने उपनिषदों का अनुवाद कराया था।
4.तीन मूर्ति का नाम हुआ तीन मूर्ति हाफिया चौक
इसी तरह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का आवास तीन मूर्ति भवन हुआ करता था। ऐसे में उसके सामने मौजूद चौराहे का नाम तीन मूर्ति था। जिसे साल 2018 में भारत सरकार ने तीन मूर्ति हाफिया चौक कर दिया गया। हाफिया नाम भारत-इजरायल की दोस्ती के प्रतीक के रूप में जोड़ा गया। इसके अलावा तीन मूर्ति भवन में भारत के प्रधानमंत्रियों की याद में एक संग्राहलय भी बनाया गया है।
मोदी सरकार का मौलिक कर्तव्य पर जोर
राजपथ का नाम कर्तव्य पथ करने में कर्तव्य शब्द कही न कहीं देश के सर्वोच्च पद पर बैठे नागरिक से लेकर आम आदमी को उसके देश के प्रति कर्तव्य की भी याद दिलाएगा। और इस बात का संदेश प्रधानमंत्री इस बार लाल किले से अपने भाषण में भी दे चुके हैं। जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भारत को विकसित बनना है तो कर्तव्य की अहम भूमिका होगी। और उन्होंने अपने 5 प्रण में रखा था और कहा था कि नागरिकों के कर्तव्य में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक आते हैं। यदि सरकार का कर्तव्य है कि वह हर समय बिजली की आपूर्ति करें तो यह नागरिक का कर्तव्य है कि वह कम से कम बिजली खर्च करे।
क्या हैं मौलिक कर्तव्य
भारतीय संविधा में 11 नागरिकों के कर्तव्य बताए गए हैं। हालांकि मूल संविधान में नागरिकों के कर्तव्य नहीं थे। उन्हें स्वर्ण सिंह कमेटी की सिफारिशों पर 42 वें संविधान संशोधन के जरिए साल 1976 में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया था। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 51A के भाग 4(A) में भारत के नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया हैं।