- पिछले एक साल से 3 कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं किसान संगठन
- अब किसान संगठनों का कहना कि सरकार को एमएसपी पर कानून बनाना चाहिए
- किसानों का कहना है कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बनेगा वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे
नई दिल्ली : संसद का शीतकालीन सत्र (Winter Session) सोमवार से शुरू हो रहा है। इस सत्र में सरकार करीब 26 विधेयकों को पेश करने वाली है लेकिन सबसे अहम विधेयक तीन कृषि कानूनों (Farm laws repeal ) की वापसी से जुड़े बिल को माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा (Lok Sabha) में पारित करने के बाद इसी दिन राज्यसभा (Rajya Sabha) में भी पेश कर सकती है। दरअसल, लोकसभा की सोमवार की कार्यसूची में कृषि कानून निरस्त विधेयक-2021 सूचीबद्ध है। इसका मतलब यह है कि सोमवार को सरकार इस विधेयक को पारित करने के लिए लोकसभा में पेश करेगी।
पीएम मोदी ने कृषि कानूनी की वापसी की घोषणा की है
सूत्रों को कहना है कि इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद सरकार इसे राज्यसभा में पेश करेगी। सरकार एक ही विधेयक से तीनों कृषि कानूनों को समाप्त करने जा रही है। इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन करीब एक साल से आंदोलन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 19 नवंबर को इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया।
किसानों ने अपना ट्रैक्टर मार्च टाला
देश के नाम संबोधन में पीएम ने कहा कि शीतकालीन सत्र में इन कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जाएगी। हालांकि, अब किसान एमएसपी को कानूनी दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि आंदोलन वापसी को लेकर वे अपना फैसला 4 दिसंबर को करेंगे। किसान संगठनों ने 29 दिसंबर को संसद की तरफ होने वाला अपना ट्रैक्टर मार्च स्थगित कर दिया है।
विधेयक में क्या कहा गया है
विधेयक के उद्देश्य और कारणों के कथन में कहा गया है कि ‘ऐसे में जब हम आजादी का 75वां वर्ष - 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं, तो समय की जरूरत है कि सभी को समावेशी प्रगति और विकास के रास्ते पर साथ लिया जाए।’ इसमें कहा गया है, ‘उसके मद्देनजर, उपरोक्त कृषि कानूनों को निरस्त करने का प्रस्ताव है। आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 (1955 का 10) की धारा 3 की उप-धारा (आईए) को हटाने का भी प्रस्ताव है, जिसे आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) अधिनियम, 2020 (2020 का 22), के तहत डाला गया था।’