नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में राजनीतिक दल अपने तर्कों को सबके सामने रख रहे हैं। कोलकाता में सीएम ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि उनकी लाश पर ही सीएए, एनपीआर और एनआरसी लागू किया जा सकता है। वो किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगी। वहीं राज्यसभा के सांसद स्वप्न दासगुप्ता को बीरभूम के विश्नभारती विश्वविद्यालय में करीब सात घंटे तक कमरे में बंद कर बंधक बना लिया। काफी मशक्कत और मान मनौव्वल के बाद उन्हें लेफ्ट से जुड़े छात्र संगठनों ने आजाद किया जिसके बाद वो विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकल पाए।
स्वप्न दासगुप्ता ने ट्वीट कर कहा कि आप कैसा महसूस कर सकते हैं जब शांतिपूर्ण तरह से कोई शख्स सीएए पर अपने विचारों को रख रहा हो और भीड़तंत्र उसको कमरे में बंद कर दे। विश्वभारती में उनके साथ यही हुआ। सीएए पर वो अपने विचार को रख रहे थे कि उग्र भीड़ ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया और विश्वविद्यालय के बाहर खड़ी है।
उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात ये है कि राजनीतिक दल सीएए के विरोध को जायज ठहरा हैं। अगर सरकार की तरफ से कोई बयान आता है तो उन्हें संविधान खतरे में नजर आता है। वो संविधान की दुहाई देते हैं। राजनीतिक दल विश्वविद्यालयों में हिंसा को खास विचार से जोड़ देते हैं। लेकिन जब कोई शख्स सीएए के समर्थन में अपनी बात रखता है तो उसके खिलाफ इस तरह से बात करते हैं जैसे कि वो देश का विरोधी हो।
विश्वभारती विश्वविद्यालय के कुलपति का कहना है कि वो पुलिस नहीं बुलाएंगे। वो खुद भी विश्वविद्यालय परिसर में बंद है,जहां तक विरोध करने वालों की संख्या है वो 100 से ज्यादा नहीं है। स्वप्न दासगुप्ता का कहना है कि उन्हें यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बोलने के लिए बुलाया था। वो एग्जीक्यूटिव सदस्य हैं और उसी हैसियत से आए। उन्हें सीएए पर डिबेट के लिए बुलाया गया था। सबसे बड़ी बात ये है कि विश्वभारती विश्वविद्यालय के चांसलर पीएम हैं न कि राज्यपाल। इस बीच यूनिवर्सिटी के दूसरे सदस्य विरोध करने वाले छात्रों के बीच हैं, बता दें कि एसयूसीआई और एसएफआई से जुड़े छात्रों ने विश्वविद्यालय को बंद कर रखा है।