- महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी-शिवसेना ने उठाया था वीर सावरकर को भारत रत्न देने का मामला
- कांग्रेस को है वीर सावर के नाम पर आपत्ति
- महाराष्ट्र में सामने आ रही है नई सियासी तस्वीर, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी बना सकते हैं सरकार
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीतिक तस्वीर का ताजा हाल ये है कि शिवसेना, कांग्रेस और एनसपी की तरफ से न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमति बनती हुई नजर आ रही है। ये हो सकता है कि विपरीत विचार वाले ये दल महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज भी हो जाएं। लेकिन सवाल ये है कि क्या शिवसेना, वीर सावरकर के लिए भारत रत्न का मांग करेगी। वीर सावरकर शिवसेना और कांग्रेस के बीच वो विवादित शख्स हैं जिनके बारे में दोनों दलों का नजरिया अलग है। वीर सावरकर के बारे में कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि वो महात्मा गांधी की हत्या के षड़यंत्र में शामिल थे। अब इस विषय पर वीर सावरकर के पोते का क्या कहना है कि यह जानना दिलचस्प है।
वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर का कहना है कि जहां तक वो उद्धव ठाकरे के बारे में जानते हैं वो कभी भी हिंदुत्व की विचारधारा को नहीं छोड़ेंगे। इसके साथ ही वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग से भी पीछे नहीं हटेंगे। इसके साथ ही वो यह भी कहते हैं कि शिवसेना, हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के विचार को बदलने में कामयाब होगी।
महाराष्ट्र विधानसभा में चुनाव प्रचार के दौरान वीर सावरकर का मुद्दा जमकर उछला था। बीजेपी और शिवसेना के नेता कहा करते थे कि वीर सावरकर का मुद्दा महाराष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। एनसीपी और कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि वीर सावरकर को भारत रत्न मिले। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में जिक्र किया था कि अगर वो दोबारा सरकार में चुन कर आते हैं तो वीर सावरकर के नाम की सिफारिश भारत रत्न के लिए करेंगे।